नई दिल्ली/झांसी: भारत और रूस की सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास इंद्र 2019 झांसी की बबीना छावनी में शुरू हो चुका है. यह युद्धाभ्यास 10 दिन तक चलेगा. सेना की टुकड़ियां, ट्रान्सपोर्ट एयरक्राफ्ट और नौसेना के जहाज युद्धाभ्यास में शामिल हैं. गोवा, पुणे और झांसी में दोनों सेनाओं का युद्धाभ्यास होगा. 10 दिन के संयुक्त युद्धाभ्यास का मकसद आतंक के खिलाफ प्रहार करना है.
हिंदुस्तान के तीन अलग-अलग राज्यों की तीन लोकेशन पर भारत और रूस की सेनाएं एक साथ मिलकर आतंक के खिलाफ प्रहार के युद्धभ्यास में एक साथ हैं. खास बात ये है कि दोनों देशों की सेना के तीनों अंग इस युद्धाभ्यास में शामिल हैं. दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के साथ आतंक से लड़ने के तरीके साझा करेंगी. जाहिर है पाकिस्तान की नजर भी इस युद्धाभ्यास पर है. क्योंकि पाकिस्तान जानता है कि रूस भारत का बहुत पुराना साझेदार है और भारत ने अमेरिकी दखल को भी दरकिनार करते हुए रूस के साथ कई बड़े रक्षा सौदे किए हैं.
भारत-रूस साथ, आतंक पर होगा आघात
सबसे पहले आप ये जान लीजिए कि इस युद्धभ्यास का नाम इंद्र ही क्यों है. INDIA से IND शब्द लिए गए हैं और रशिया से R और A शब्दों को मिलाकर बना है. इस युद्धाभ्यास के जरिए दोनो देशों की सेनाएं एक दूसरे की युद्धक रणनीतियों और सैन्य हथियारों की तकनीक साझा करेंगी. दोनो देशों के जवानों के साहस, हिम्मत और जज्बा देखकर दुश्मन घबराया हुआ है. सैन्य अभ्यास के माध्यम से दोनो देशो की सेनाएं एकजुटता के साथ ऑपरेशन के दौरान रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाएंगी.
दो साल पहले भारत और रूस की सेना के तीनों अंगों ने साथ मिलकर पहली बार अभ्यास किया था. तब भी जमीन, हवा और समंदर तीनों जगहों पर युद्धाभ्यास हुआ था. रूस के शहर ब्लादिवोस्तक में हुआ. वैसे 2003 से दोनों देशों की सेनाओं के बीच 17 बार इन्द्र अभ्यास हुआ है लेकिन ये दूसरा मौका है जब अब भारत और रूस एक साथ तीनों सेनाओं के साथ मैदान में उतरे हैं. इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं इस बात के गुर भी सीखेंगी कि अगर किसी तीसरे देश में आतंकी हमला होता है तो कैसे दोनों देश मिलकर कार्रवाई करेंगे, एक-दूसरे की रणनीति सीखने और भविष्य की चुनौती से बेहतर तरीके से निपटने पर भी फोकस रहेगा.
प्रधानमंत्री इसी वर्ष सितंबर में रूस गए थे. पीएम मोदी के रूस दौरे के फौरन बाद रूस से अच्छी खबर आई थी कि. वो ये कि 18 महीने के अंदर भारत को एस-400 मिसाइल सिस्टम की सप्लाई कर देगा. इस सिस्टम के बाद पाकिस्तान की गजनवी, शाहीन और हत्फ जैसी कोई भी मिसाईल भारत के आसमान को छू भी नहीं पाएगी. ये वो मिसाइल सिस्टम है जो हवा में ही दुश्मन की मिसाइल को मार गिराता है. ये मिसाइल सिस्टम जहां एक्टिवेट हो जाता है वहां मीलों दूर तक दुश्मन की परछाई भी नहीं पड़ सकती.
पारंपरिक एयर डिफेंस एक ही टारगेट को निशाना बना पाती है जबकि एस-400 एक बार में 100 टारगेट पहचान सकता है. 36 टारगेट पर एक साथ निशाना लगा सकता है. 600 किलोमीटर की रेंज दुश्मन की मिसाइल को पहचान सकता है. 400 किलोमीटर दूर तक दुश्मन की मिसाइल को मार सकता है. 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिसाइल और ड्रोन को गिरा सकता है. एस-400 अमेरिका के एयर डिफेंस सिस्टम THAAD से भी ज्यादा घातक है. अमेरिका को इस डील पर ऐतराज़ था. लेकिन भारत ने साफ कर दिया था कि वो अपनी सुरक्षा और रूस से अपने रिश्तों को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकता.