नई दिल्ली
डबल ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार को पुलिस कस्टडी में आठ दिन बीत चुके हैं। शातिर और आदतन अपराधियों से सच उगलवाने का दावा करने वाली जांच एजेंसी पूर्व वर्ल्ड चैंपियन पहलवान के आगे असहाय नजर आ रही है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तराखंड की खाक भी छानकर आ गई है। पहलवान का मोबाइल फोन और वारदात के समय पहने कपड़े बरामद नहीं कर सकी है। अब तक की पूछताछ में सुशील हत्या की साजिश से इनकार कर रहा है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुशील कुमार और उसके करीबी अजय सहरावत को लेकर क्राइम ब्रांच की टीम सोमवार को उत्तराखंड गई। हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी पर छानबीन की। पूछताछ में सुशील ने बताया था कि उसने अपना मोबाइल हर की पौड़ी के पास फेंक दिया था। वारदात के समय पहने कपड़े भी बरामद नहीं हो सके, जिनके जलाए जाने की आशंका है। सुशील पहले तो हरिद्वार में कपड़े होने की बात कर रहा था, लेकिन बाद में जला देने की बात कहने लगा।
सुशील को हरिद्वार में किन-किन लोगों का सहयोग मिला था, इसके बारे में पुलिस पता लगाने में जुटी है। सुशील को ऋषिकेश भी ले जाया गया। पुलिस ने कुछ लोगों से सुशील की मौजूदगी में बात की। इसके बाद देहरादून भी गई। दिनभर की मशक्कत के बाद टीम खाली हाथ दिल्ली लौट आई। सुशील लगातार एक ही बात कह रहा है कि उसने सागर की हत्या नहीं की। पिटाई करने के दौरान उसकी मौत हो गई। हत्या करने की सुशील की मंशा बिल्कुल नहीं थी।
जांच में जुटे अफसरों को आशंका है कि सुशील ने फरारी के दौरान सबूतों को नष्ट कर दिया है। कपड़ों को जला दिया और मोबाइल को गंगा में फेंक दिया होगा। इसलिए मोबाइल और कपड़े बरामद नहीं हो रहे हैं। सुशील के घर से सीसीटीवी की डीवीआर भी गायब है। अगर ये चीजें बरामद नहीं होती हैं तो मुकदमे में आईपीसी की धारा 201 (सबूत मिटाना) जोड़ दी जाएगी। सुशील और अजय के अलावा बाकी गिरफ्तार आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताया है। आरोपियों ने विडियो फुटेज का हवाला देते हुए दावा किया है कि वे सुशील के कहने पर स्टेडियम आए थे, लेकिन झगड़े में हिस्सा नहीं लिया था।