नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से ASI (भारत पुरातत्व सर्वेक्षण) की रिपोर्ट पर की गई आपत्तियों पर सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि जब आपने हाईकोर्ट में रिपोर्ट को लेकर ASI की टीम के सदस्यों से कोई सवाल नहीं किये तो फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील पर सुनवाई में इस पर कैसे विचार किया जा सकता।
कानून के मुताबिक आपके पास उस समय मौका था जिसका आपने लाभ नहीं उठाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ASI की रिपोर्ट विशेषज्ञ साक्ष्य है और कानून में स्वीकार किया जाने वाला साक्ष्य है। ASI की रिपोर्ट को लेकर कोर्ट की ओर से पूछे गए इन सवालों का मुस्लिम पक्ष गुरुवार को जवाब देगा।
2003 में हाईकोर्ट को सौंपी थी रिपोर्ट
ASI ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विवादित स्थल की खुदाई करके कोर्ट को रिपोर्ट दी थी। ASI ने 22 अगस्त 2003 को हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में ASI ने कहा है कि विवादित ढांचे के नीचे विशाल संरचना पाई गई है जो कि उत्तर भारत के मंदिरों से मेल खाती है। हाईकोर्ट ने ASI से विवादित स्थल की खुदाई कर यह पता लगाने को कहा था कि वहां पहले कोई मंदिर था कि नहीं और क्या मंदिर तोड़ कर उस जगह मस्जिद बनाई गई है।
मीनाक्षी अरोड़ा ने रिपोर्ट पर उठाईं आपत्तियां
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना चल रही सुनवाई में बुधवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने ASI रिपोर्ट पर आपत्तियां उठाईं। अरोड़ा ने कहा कि रिपोर्ट में बहुत सी खामियां और विषमताएं हैं रिपोर्ट को साक्ष्य में नहीं स्वीकारा जा सकता।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का निष्कर्ष जो कि चैप्टर 10 है, किसने लिखा है यह भी स्पष्ट नहीं है क्योंकि उस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं हैं न ही किसी का नाम दिया गया है। रिपोर्ट के निष्कर्ष में जो बात कही गई है वह मूल रिपोर्ट से भी आगे बढ़कर है। इस पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि जब रिपोर्ट के शुरू में हरी मांझी और बीआर मणी का नाम दिया गया है तो उन्हीं की रिपोर्ट समझी जाएगी।
इसके बाद अरोड़ा ने खुदाई में मिले खंबों के आधार आदि पर भी सवाल उठाए। तभी मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कहा कि ASI को खुदाई कर रिपोर्ट देने का काम हाईकोर्ट ने सौंपा था। कानून के मुताबिक ASI कोर्ट कमिश्नर है और उसकी रिपोर्ट साक्ष्य के तौर पर स्वीकार होगी।
हाईकोर्ट ने कहा था बाद में करेंगे विचार
कोर्ट ने कहा कि दीवानी संहिता के आदेश 26 नियम 10 के मुताबिक कमिश्नर की रिपोर्ट पर पक्षकार उससे जिरह कर सकते हैं। आपके पास यह मौका था लेकिन आपने हाईकोर्ट में ASI टीम के सदस्यों से जिरह नहीं की। अरोड़ा ने कहा कि उनकी ओर से हाईकोर्ट मे भी रिपोर्ट के खिलाफ आपत्तियां दाखिल की गईं थीं लेकिन हाईकोर्ट ने कहा था कि उस पर बाद में विचार करेंगे। हालांकि उनकी ओर से ASI टीम के सदस्यों से जिरह नहीं की गई थी क्योंकि उन्हे लगता था कि इस तरह वे उनके गवाह मान लिये जाएंगे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आपने कानून ठीक से नहीं पढ़ा कानून के मुताबिक ASI टीम कोर्ट कमिश्नर है उनसे जिरह करने का आपको हक था। जब आपने वहां उनसे जिरह नहीं की तो सुप्रीम कोर्ट अपील मे सुनवाई के दौरान इन आपत्तियों पर विचार नहीं कर सकता। वह रिपोर्ट साक्ष्य है। ASI रिपोर्ट पर उठाई जा रही आपत्तियों के बारे में कोर्ट का स्पष्ट रुख देखकर मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि वह गुरुवार की सुबह कोर्ट को इस बारे में संतुष्ट करेंगी।