उत्तर प्रदेश के सेंगर बंधुओं के हाथों हुए अपराधों की फेहरिस्त उन्नाव रेप केस पर ही आकर नहीं रुकती. अपने लिए न्याय की गुहार लगा रहे डीआईजी रैंक के उत्तर प्रदेश कैडर के एक आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा पर सेंगर बंधुओं ने कभी चार गोलियां दागी थीं, जो उनके सीने और पेट में लगी थीं.
उत्तर प्रदेश में सेंगर बंधुओं ने आईपीएस अफसर वर्मा पर जानलेवा हमले के अहम दस्तावेज न सिर्फ गुम करबा दिए, बल्कि मामले की सुनवाई सालों तक टलवा दी. साल 2004 में बतौर पुलिस अधीक्षक वर्मा ने जब उन्नाव के एक अवैध खनन स्थल पर दबिश दी थी, उस दौरान कुलदीप सेंगर के छोटे भाई अतुल सेंगर और उसके गुर्गे ने उन्हें गोली मार दी थी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निष्कासित विधायक और उन्नाव दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी कुलदीप सेंगर ने उन दिनों ऐसा राजनीतिक दबाव बनाया था कि थाने से महत्वपूर्ण केस की फाइलें चोरी हो गईं. यही वजह है कि वर्मा की हत्या की कोशिश जैसे सनसनीखेज मामले की सुनवाई 15 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई.
कई तरह की सर्जरी और महीनों अस्पताल में भर्ती रहे आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा की जान संयोगवश बच गई. समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक उस हमले को याद करते हुए वर्मा ने कहा कि उन्हें उन्नाव में गंगा किनारे माफिया गिरोह से करवाए जा रहे अवैध रेत खनन के बारे में सूचना मिली थी. जब वह खनन स्थल पर पहुंचे तो अतुल सेंगर और उसके गुर्गे ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी. वर्मा ने कहा, मुझे चार गोलियां मारी गईं. मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे समय पर एक अस्पताल ले जाया गया और जान बच गई.
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उस गोलीबारी में कुलदीप सेंगर, भाई अतुल और उनके कई गुर्गे शामिल थे. उनके मुताबिक चार बार के विधायक कुलदीप सेंगर अपने रसूख की बदौलत मामले की जांच और मुकदमे की सुनवाई को प्रभावित करता था. उन्होंने कहा कि मुकदमे की स्थिति का पता लगाने के लिए मुझे आरटीआई फाइल करनी पड़ी थी. एक आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद मेरे साथ जो हुआ, वह बेहद निराश करने वाला है.
वर्मा ने कहा, उस मामले की सुनवाई अभी तक शुरू नहीं हुई है. वर्मा के बेटे अभिषेक वर्मा भी उत्तर प्रदेश कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में चयनित हो गए. शीर्ष पुलिस परिवार से होने के बावजूद वर्मा न्याय पाने और अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए अपने बेटे के साथ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं. राम लाल वर्मा के मित्र और यूपी में पदस्थ एक डीआईजी ने कहा, सच तो यह है कि सेंगर उत्तर प्रदेश में शक्तिशाली राजनेता होने के नाते इस मामले की जांच रुकवाने में कामयाब रहा है.
पुलिस रिकॉर्ड से पता चलता है कि अतुल सेंगर के खिलाफ उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की बेरहमी से हत्या सहित कई भयानक आपराधिक मामले दर्ज हैं. हाल यह है कि लोकायुक्त ने सेंगर के खिलाफ 125 करोड़ के खनन घोटाले की जांच के जो आदेश दिए हैं, उसे भी अधिकारियों की ओर से दबाया जा रहा है.
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