नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के हंदवाड़ा (Handwara) में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में एक कर्नल, एक मेजर, एक पुलिस ऑफिसर समेत 5 जवान शहीद हो गए हैं. पिछले तीन दिनों से सुरक्षाबलों के जारी ऑपरेशन में दो आतंकी भी ढेर हुए हैं. शहीद होने वालों में से एक जम्मू-कश्मीर पुलिस का भी अधिकारी शामिल है. एक घर में छिपे आतंकियों से आम नागरिकों को बचाने के प्रयास में ये जवान शहीद हुए.
एनकाउंटर में शहीद जवानों में कर्नल आशुतोष शर्मा का नाम भी शामिल है, जिनकी अगुआई में भारतीय सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ कई ऑपरेशनों को अंजाम दिया है और उन्हें सबक सिखाया है. हम आपको बताने जा रहे हैं कर्नल आशुतोश शर्मा की बहादुरी के बारे में जिनके नाम से आतंकी थरथर कांपते थे...
21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष शर्मा को उनके आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुका है. बताया जाता है कि एक बार आतंकी अपने कपड़ों में ग्रेनेड छुपाकर उनके जवानों की तरफ बढ़ा था. इस समय बहादुरी का परिचय देते हुए कर्नल आशुतोष ने उसे काफी नजदीक से गोली मारी थी. शहीद कर्नल आशुतोष को इस बहादुरी के लिए वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
जानकारी के मुताबिक शहीद आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर हैं, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो. इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान 42 राष्ट्रीय राइफल के कर्नल एमएन राय शहीद हो हुए थे. इसके अलावा, उसी साल नवंबर में 41 राष्ट्रीय राइफल के कर्नल संतोष महादिक आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे.
सेना के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे. वह आतंकियों से लोहा लेने के लिए जाने जाते रहे हैं. शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा अपने पीछे पत्नी और 12 वर्षीय बेटी को छोड़ गए हैं.