'मुझे माफ कीजिए...हम पुलिस हैं...हमारा कोई अस्तित्व नहीं है...हमारा कोई परिवार नहीं है...हमारे लिए कोई मानवाधिकार नहीं है!!!' अरुणाचल प्रदेश के पुलिस उपमहानिरीक्षक मधुर वर्मा का यह ट्वीट देश में पुलिस की मौजूदा स्थिति बताने के लिए काफी है।
I am sorry.. we are police ... we don’t exist.. we don’t have families...we don’t have human rights !!! https://t.co/ZqR7dEUFgy
— Madhur Verma (@IPSMadhurVerma) November 4, 2019
अब जरा भारतीय पुलिस एक्ट का सेक्शन 22 पर नजर दौड़ाएं, 'प्रत्येक पुलिस अधिकारी खुद को हमेशा ड्यूटी पर तैनात मानेगा और उसे किसी भी पुलिस जिले में किसी भी समय नियुक्त किया जा सकता है।' पुलिसवालों के लिए न कोई छुट्टी है, न ही काम के घंटे तय हैं। यही नहीं उनके पास अपने परिवार के साथ सुकून के पल बिताने का भी समय नहीं है क्योंकि वे तो सदैव हमारी सुरक्षा में तैनात हैं।
देश में कानून के रखवालों को किस तरह की निजी मुश्किलों से गुजरना पड़ता है, उसे 'कॉमन कॉज' नाम की संस्था की एक रिपोर्ट में सामने लाने की कोशिश की गई है। 'स्टेटस आफ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019' में बताया गया है कि कैसे उन्हें मूलभूत सुविधाएं भी मुहैया नहीं हैं।
हम अगर अपने साप्ताहिक अवकाश वाले दिन काम करना पड़े तो कितना मुश्किल लगता है। मगर आपको बता दें कि देश में 51 फीसदी पुलिसकर्मियों को यह छोटी सी सुविधा भी नहीं मिल पाती है। 52 फीसदी पुरुष और 48 प्रतिशत महिलाकर्मियों को हफ्ते में एक छुट्टी भी नसीब नहीं होती। दिल्ली में तो यह आंकड़ा और भी बढ़ जाता है। यहां 59 फीसदी कर्मी साप्ताहिक अवकाश नहीं ले पाते।
प्राइवेट हो या सरकारी दफ्तर, हर जगह काम के घंटे तय हैं। मगर पुलिस एक ऐसा विभाग है, जो हमेशा ड्यूटी पर रहता है। देश में पुलिसकर्मी औसतन 14 घंटे तक काम करता है। सबसे ज्यादा मुश्किल ओडिशा के पुलिसकर्मियों की है।
राज्य | औसतन काम के घंटे |
ओडिशा | 18 |
पंजाब | 17 |
आंध्र प्रदेश | 16 |
बिहार | 16 |
हरियाणा | 16 |
हिमाचल | 16 |
उत्तर प्रदेश | 15 |
दिल्ली | 14 |
उत्तराखंड | 14 |
हमेशा हमारी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को अतिरिक्त काम तो करना पड़ता है, लेकिन उनके इसके बदले ओवरटाइम भी नहीं मिलता।
पुलिस | ओवरटाइम नहीं मिलता | ओवरटाइम मिलता है |
ओवरऑल | 80 | 05 |
सिविल पुलिस | 83 | 04 |
सशस्त्र पुलिस | 69 | 08 |
पुलिसकर्मियों पर काम का बोझ इतना ज्यादा है कि पूरा करने के लिए उन्हें ज्यादा समय तक थानों में टिकना पड़ता है। अतिरिक्त काम की वजह से 32 फीसदी पुरुषकर्मियों और 29 प्रतिशत महिलाकर्मियों को थानों में रुकना पड़ता है।
देश में पुलिसकर्मियों के वेतन की बात करें तो 44 फीसदी पुलिसकर्मी अपने वेतन को लेकर संतुष्ट नहीं हैं। उनकी नजर में उन्हें कम वेतन मिल रहा है। देश की राजधानी दिल्ली में भी सिर्फ 56 फीसदी कर्मी ही अपने वेतन से संतुष्ट हैं।