- हर साल लगभग 380 किमी सड़कें बन रही हैं
- पिछले 6 वर्षों में 6 और चालू हैं और 19 और योजना बनाई जा रही
- चीन-भारतीय सीमा के साथ कुल 73 सड़कों का निर्माण किया जा रहा है
नई दिल्ली
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के विवाद (India-China Conflict) के बीच भारत ने एक बड़ा फैसला लिया है। भारत के इस फैसले से चीन साफ तौर पर समझ जाएगा कि ये 1962 का भारत नहीं है। जी हां, चीन की बौखलाहट के बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चीन से लगती सीमा पर सड़कों के निर्माण का काम तेज करने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले सीमा प्रबंधन (Border Management) के सचिव संजीव कुमार ने सोमवार को एक हफ्ते में दूसरी बार एलएसी (Line of Actual Control, LAC) के साथ लगते क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर जारी परियोजनाओं की समीक्षा की।
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32 परियोजनाओं का काम तेजी से बढ़ेगा
अधिकारियों ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर बुनियादी कामों को और तेज किया जाएगा। इनमें से 32 परियोजनाएं और तेजी से करने का फैसला लिया गया है। गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा बुलाई गई एक उच्च-स्तरीय बैठक में ये निर्णय लिया गया। इस बैठक में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD), सीमा सड़क संगठन (BRO) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) ने भाग लिया। बैठक में शामिल एक आधिकारी ने बताया, 'चीन के साथ सीमा पर 32 सड़क परियोजनाओं पर काम किया जाएगा और सभी संबंधित एजेंसियां परियोजनाओं को फास्ट ट्रैक करने के लिए सहयोग बढ़ाएंगी।' चीन-भारतीय सीमा के साथ कुल 73 सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें से सीपीडब्ल्यूडी 12 और बीआरओ 61, पर एमएचए की निगरानी में काम कर रहा है।
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लद्दाख में भी बन रहीं 3 महत्वपूर्ण सड़कें
गृह मंत्रालय का यह कदम लद्दाख सेक्टर में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के बीच चल रही खींचतान के बीच हुआ। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कम से कम तीन महत्वपूर्ण सड़कों का निर्माण लद्दाख में बीआरओ द्वारा किया जा रहा है। सड़कों के अलावा बिजली, स्वास्थ्य, दूरसंचार और शिक्षा जैसे अन्य सीमा अवसंरचना के विकास से संबंधित परियोजनाओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी। एमएचए अधिकारियों के अनुसार, हाल के वर्षों में चीन-भारतीय सीमा के पास सड़क निर्माण कार्यों में वृद्धि हुई है।
केंद्र सरकार ने दी जानकारी
मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (MHA) ने आधुनिक निर्माण उपकरणों की खरीद की प्रगति की भी समीक्षा की। केंद्र ने न केवल 2017-2020 के बीच खरीद प्रक्रिया को गति देने में कामयाबी हासिल की है, बल्कि 2017 के बाद से निर्माण उपकरण और सामग्री का एयरलिफ्ट भी बढ़ाया है। केंद्र की लगातार नीति के कारण भारत ने पिछले 6 वर्षों में 4764 किमी रणनीतिक सड़कों का निर्माण पूरा कर लिया है। जहां तक भारत में बॉर्डर रोड्स के निर्माण की बात है तो 2008-17 में केंद्रीय गृह मंत्रालय के डेटा के अनुसार, जहां 230 किमी प्रति वर्ष सड़कों की कटिंग की जा रही थी, पिछले तीन वर्षों में दोगुनी हो गई है और 2017-2020 अब 470 किमी/ वर्ष हो गई है।
परियोजनाओं के लिए बढ़ाया गया बजट
अधिकारियों ने बताया कि 2017 से 2020 के बीच सीमा से सटे इलाकों में 470 किलोमीटर सड़क के लिए रास्ता बनाने (फॉरमेशन कटिंग) का काम पूरा किया गया जबकि 2008 से 2017 के बीच यह सिर्फ 230 किलोमीटर था। उन्होंने बता कि 2017-20 के बीच 380 किलोमीटर सड़क के लिए रास्ता साफ किया गया। उन्होंने बताया कि 2014-20 के बीच छह सुरंग सड़कों का निर्माण किया गया जबकि 2008 से 14 के बीच सिर्फ एक सुरंग सड़क का निर्माण किया गया था।
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इसके अलावा 19 सुरंग सड़कें योजना के चरण में हैं। 2014-20 के बीच कुल 4,764 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है जबकि 2008-14 के बीच 3,610 सड़क का निर्माण किया गया था। इसी तरह से हाल के सालों में सड़क परियोजनाओं के बजट में भी इजाफा किया गया है। 2008 और 2016 के बीच प्रति वर्ष सड़क परियोजनाओं के लिए बजट 3,300 करोड़ रुपये से 4,600 करोड़ रुपये तक था। 2017-18 में सीमावर्ती इलाकों में सड़क परियोजनाओं के लिए 5450 करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि 2018-19 में 6700 करोड़ रुपये, 2019-20 में 8050 करोड़ रुपये तथा 2020- 21 में 11,800 करोड़ रुपये दिए गए हैं।