"फ़ेसबुक पोस्ट के लिए दूसरे धर्म (इस्लाम) के केंद्र पर जाकर कुरान बांटने का आदेश मुझे असहज कर रहा है. मुझे बहुत बुरा लग रहा है. मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करती हूं लेकिन मुझे यह भी अधिकार है कि मैं ऊपर के कोर्ट में अपनी बात रखूं. कोई मेरे मौलिक अधिकारों का हनन कैसे कर सकता है. फ़ेसबुक पर अपने धर्म के बारे में लिखना कहां का अपराध है. मुझे अचानक गिरफ़्तार कर लिया गया, जबकि मैं एक छात्रा हूं."
रांची वीमेंस कालेज की छात्रा रिचा भारती उर्फ़ रिचा पटेल ने यह बात बीबीसी से कही.
उन्होंने कहा, "जिस पोस्ट के लिए झारखंड पुलिस ने मुझे गिरफ़्तार किया, वह पोस्ट मैंने 'नरेंद्र मोदी फैंस क्लब' नामक ग्रुप से कापी कर अपने फ़ेसबुक पेज पर पोस्ट किया था. इसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ कोई बात नहीं थी. मुझे अभी तक कोर्ट के फै़सले की कापी नहीं मिली है. उसके मिलने के बाद मैं आगे का निर्णय लूंगी कि मैं कुरान बांटूं या इस आदेश के ख़िलाफ़ ऊपर के कोर्ट में अपील करुं."
रिचा पटेल ग्रेज्युएशन अंतिम वर्ष की छात्रा हैं. वे रांची के बाहरी इलाके पिठोरिया में अपने परिवार के साथ रहती हैं. उनके ख़िलाफ़ मुसलमानों के सामाजिक संगठन अंजुमन इस्लामिया के प्रमुख मंसूर खलीफा ने पिठोरिया थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी थी.
उन्होंने पुलिस को दिए अपने आवेदन में आरोप लगाया था कि रिचा पटेल के फेसबुक और व्हाट्सएप पोस्ट से इस्लाम मानने वाले लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं. इससे समाजिक सदभाव बिगड़ सकता है. इसके बाद पुलिस ने 12 जुलाई की शाम उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.
इसकी सूचना मिलते ही विभिन्न हिंदू संगठनों से जुड़े सैकड़ों लोगों ने पिठोरिया थाना का घेराव कर उन्हें रिहा करने की मांग की थी. इसके अगले दिन रांची में भी प्रदर्शन कर अल्बर्ट एक्का चौक पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया और जय श्री राम के नारे लगाए गए. इन लोगों ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने के आरोप लगाए और रिचा को बिना शर्त रिहा करने की मांग की.
ज़मानत में कुरान बांटने की शर्त
इस बीच दोनों पक्षों में सुलह की बातें सामने आयीं और सोमवार को रांची सिविल कोर्ट में उनकी ज़मानत की अर्जी दाख़िल की गई. इस पर सुनवाई करते हुए रांची सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी मनीष कुमार सिंह ने रिचा को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वे कुरान की पांच प्रतियां खरीदकर उसे अंजुमन कमेटी और पुस्तकालयों में बांटेगीं.
उन्हें इसकी प्राप्ति रसीद भी जमा कराने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने पुलिस से कहा कि इस दौरान वे रिचा को पर्याप्त सुरक्षा भी उपलब्ध कराए.
इस मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने वाले मंसूर खलीफा ने बीबीसी को बताया कि ज़मानत की शर्तों के मुताबिक रिचा पटेल ने उन्हें अभी तक कुरान की प्रति नहीं सौंपी है. अदालत ने उन्हें (रिचा को) ऐसा करने को कहा था.
उन्होंने बताया कि पुलिस रिपोर्ट कराने के बाद लड़की के घरवालों और समाज के कुछ लोगों ने रिचा पटेल कम उम्र (19 वर्ष) और आगे की ज़िंदगी का हवाला देकर सुलह का प्रस्ताव दिया, जिसे मैंने स्वीकार कर लिया. इस कारण उन्हें ज़मानत मिलने में सहूलियत हुई.