हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो।तेरा केशरिया रंग, वीर का बाना,सीखा है इससे, सबने प्राण लुटाना।और श्वेत रंग, जो धवल चांदनी सा है,वह विश्व-शांति का, सबको संदेशा है।और हरित रंग जो, फैला हरियाली सा,वह उन्नति ऋद्धि-सिद्धि का, संदेशा है।वह नील चक्र, चौबीस तीलियों वाला,आगे बढ़ने की, बात करे मतवाला।बस बढ़े देश का मान, न हो कुछ बांका,हमको प्राणों से बढ़कर राष्ट्र-पताका।हे ध्वजा! राष्ट्र की, नील-गगन पर फहरो,उन्मुक्त पवन में, लहर-लहर तुम लहरो।