- हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी के इस्तीफे पर कई कयास
- बताया जा रहा है गिलानी के पाकिस्तानी सरपरस्तों ने उन्हें साइड लगा दिया
- गिलानी अपने बेटे को हुर्रियत चीफ बनाने की कोशिश में जुटे थे
- पाक खुफिया एजेंसी ISI को गिलानी की योजना नहीं आई पसंद
नई दिल्ली
ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी के इस्तीफे के बात तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। अपने पाकिस्तानी सरपरस्तों के एक इशारे पर जम्मू-कश्मीर में अराजकता को हवा देने वाले 90 वर्षीय अलगाववादी नेता गिलानी फिलहाल राज्य में आप्रसंगिक हो गए थे।
माना जा रहा है कि गिलानी के सरपरस्तों ने उन्हें साइडलाइन कर दिया था। पाकिस्तान के 'यूज ऐंड थ्रो' रणनीति में गिलानी अब आप्रसंगिक हो गए थे। बताया जा रहा है कि गिलानी ने हुर्रियत के अंदर बने दो गुटों के चलते इस्तीफा दिया है। पिछले एक साल से हुर्रियत के अंदर काफी गर्म माहौल चल रहा था। ऐसे में अब गिलानी का इस्तीफा देना कई सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि इस्तीफे को लेकर गिलानी किसी से बात नहीं कर रहे हैं।
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सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि गिलानी के इस्तीफे से पाकिस्तान खासतौर पर उसकी खुफिया एजेंसी ISI के 'यूज ऐंड थ्रो' के नापाक मंसूबे को दिखाता है। एक वक्त अपने सरपरस्तों के इशारे पर हिंसक प्रदर्शन करवाने वाला और हजारों की भीड़ जुटाने वाले नेता को पाकिस्तान ने अब उसे अपने रहमो करम पर छोड़ दिया है। वह POK के हुर्रियत चैप्टर के लिए अब्दुला गिलानी को प्रतिनिधि बना दिया था और अपने बेटे को हु्र्रियत का उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश में जुटे हुए थे। असल में वह हुर्रियत के अंदर बने दो गुटों की राजनीति के कारण तंग थे। इसलिए 370 हटाए जाने के बाद भी उन्होंने कश्मीर को लेकर कोई बयान, बंद नहीं किया था। इस बात को लेकर हुर्रियत के बाकी नेताओं ने भी बातें करना शुरू कर दिया था।
गिलानी के हुर्रियत कॉन्फ्रेंस गुट में पिछले 4-6 महीने से काफी मतभेद चल रहे थे। एक सूत्र ने बताया कि गिलानी को यह अहसास हो गया था वक्त उनके साथ नहीं है और अपने बेटे को हुर्रियत का उत्तराधिकारी बनाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने पूरी कोशिश कर अपने विश्वासी और उनके पुत्र नईम गिलानी के करीबी दोस्त अब्दुल्ला गिलानी को POK चैप्टर का संयोजक बनवा दिया था।
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एक IPS अधिकारी ने बताया कि गिलानी अपने पुत्र नईम को किसी भी प्रकार हुर्रियत का चीफ बनवाना चाह रहे थे ताकि उनकी 'सल्तनत' चलती रहे। हालांकि, पाकिस्तान स्थिति एजेंसियां उनकी इस योजना से खुश नहीं थे और माना जा रहा है कि वे कश्मीर और POK में हुर्रियत के दूसरे गुट के साथ चले गए। गिलानी के सरपरस्तों ने सबसे पहले उन्हें किनारे लगाया और फिर उनके चुने नुमाइंदे अब्दुल्ला गिलानी को हटाकर अपना आदमी हुसैन मोहम्मद खतीब को POK में हुर्रियत के तख्त पर बिठा दिया।