जम्मू-कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत प्राप्त विशेष दर्जा वापस लिये जाने के छह महीने बाद केंद्र शासित प्रदेश की स्थिति का मौके पर जाकर आकलन करने के उद्देश्य से 25 विदेशी राजनयिकों का दूसरा प्रतिनिधिमंडल बुधवार (12 फरवरी) को यहां पहुंचा। राजनयिकों के इस दौरे का आयोजन केन्द्र सरकार ने किया है। अधिकारियों ने बताया कि राजनयिकों का यह प्रतिनिधिमंडल सुबह करीब 11 बजे श्रीनगर हवाई अड्डे पर पहुंचा, लेकिन खराब मौसम के कारण वे तय कार्यक्रम के अनुरूप उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के दौरे पर नही जा सके। उन्होंने बताया कि ये राजनयिक यहां एक होटल में ठहरे हैं। वे प्रसिद्ध डल झील में शिकारा के लिए भी गए।
इससे पहले सरकार ने 15 विदेशी राजनयिकों का एक दल जम्मू कश्मीर के दौरे पर भेजा था जिसका लक्ष्य उन्हें यह बताना था कि कश्मीर घाटी में सामान्य हालात तेजी से पटरी पर लौट रहा है। कई विपक्षी दलों ने इसे ''गाइडेड टूर' बताया था। दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने बताया कि राजनयिकों का यह दल केंद्र शासित प्रदेश के दौरे के दौरान नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों, युवाओं, राजनेताओं एवं स्थानीय व्यवसायियों से मुलाकात करेगा।
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जम्मू कश्मीर प्रदेश के पुनर्गठन की घोषणा और इससे विशेष दर्जा वापस लेने की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार ने लोगों की आवाजाही, मोबाइल, टेलीफोन एवं इंटरनेट संपर्क पर रोक लगा दी थी, जिससे उसे विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि आगे बढ़ने के प्रयास के तहत विदेशी मिशनों के प्रमुखों का यह दौरा जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में 12-13 फरवरी को कराया जा रहा है।
मंत्रालय के अनुसार राजनयिकों का यह दल बारामूला, श्रीनगर एवं जम्मू का दौरा करेगा और तथा नागरिक समूहों के प्रतिनिधियों, युवाओं और विभिन्न जातीय, धार्मिक तथा सामाजिक आर्थिक समुदाय के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा । इस दौरान ये राजनयिक स्थानीय व्यवसायियों एवं राजनीतिक नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय ने कहा, ''विदेशी राजनयिकों को वहां लागू विकास कार्यक्रमों, सुरक्षा स्थिति का आकलन करने और स्थिति के सामान्य होने के बारे में जानकारी दी जाएगी, जिसके वह स्वयं गवाह होंगे।"
इस दल में अफगानिस्तान, आस्ट्रिया, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डेनमार्क, डोमिनिकन रिपब्लिक, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, गिनिया गणराज्य, हंगरी, इटली एवं केन्या राजदूत शामिल हैं। इसके अलावा किर्गिस्तान, मेक्सिको, नामिबिया, द नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, पोलैंड, रवांडा, स्लोवाकिया, तजाकिस्तान, यूगांडा एवं उज्बेकिस्तान के राजदूत भी इस जत्थे के हिस्से के रूप में कश्मीर गए हैं।
विदेशी राजनयिकों के दौरों पर प्रतिक्रिया देते हुए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विदेशी राजनयिक अधिकारियों से इंटरनेट पर प्रतिबंध और लोक सुरक्षा अधिनियम के तहत राजनेताओं के हिरासत के बारे में सवाल करेंगे। इल्तिजा ने ट्वीट किया, ''उम्मीद है कि पांच अगस्त से इंटरनेट संपर्क पर प्रतिबंध के बारे में विदेशी राजनयिक भारत सरकार से सवाल करेंगे। पांच अगस्त को ही जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन की घोषणा की गई थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने कश्मीर में स्थानीय मीडिया पर पाबंदी लगा दी है। इसके साथ ही इल्तिजा ने राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों - उनकी मां महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला - के खिलाफ लगाए गए लोसुका का भी जिक्र किया। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों के बीच भय पैदा करने के लिए सैनिकों की तैनाती की गई है और सामान्य स्थिति केवल एक भ्रम है।
एक विदेशी राजनयिक ने संवाददाताओं से कहा कि वह ''पर्यटक के तौर पर कश्मीर में हैं।" अधिकारियों ने कहा कि विदेशी राजनयिकों के दूसरे दल में यूरोपीय संघ, दक्षिण अमेरिका एवं खाड़ी के देशों के राजदूत हैं। इस बीच भारत में अफगानिस्तान के राजदूत ताहिर कादिरी ने ट्वीट किया, ''यहां आने के बाद से हमने कश्मीर के श्रीनगर में स्थित डल झील में शिकारा सैर का आनंद उठाया। बहुत सुंदर झील एवं बेहतर आतिथेय। एक नाव पर लगी दुकान से मैंने एक बेहद खूबसूरत कश्मीरी अंगूठी खरीदी। उन्होंने कश्मीरियों के आव भगत की भी काफी सराहना की।
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ''हम अफगानी लोग दावा करते हैं कि हम मेहमान नवाज हैं, लेकिन कश्मीरी भी निश्चित तौर पर ऐसे हैं। यहां मैने युवाओं के एक समूह से बातचीत की। उनमें शामिल एक बालिका बास्केटबाल में स्वर्ण पदक प्राप्त है और उसकी आकांक्षा उच्च है। इस खुबसूरत घाटी एवं इसकी जनता को शुभकामनाएं।" संवाददाताओं के साथ बातचीत में कादिरी ने कहा, ''कश्मीरी मीडिया के साथ हमारी बातचीत में, मीडिया के लोगों ने गंभीरता पूर्वक सरकार से आग्रह किया है कि वह इंटरनेट ब्राडबैंड सेवा बहाल करें क्योंकि उन्हें खबर फाइल करने और प्रसारित करने में बहुत अधिक समस्या आ रही है।"
पिछले साल पांच अगस्त को सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा वापस लेकर उसे दो संघ शासित क्षेत्रों में बांट दिया था। इस बंटवारे के बाद दो केंद्र शासित प्रदेश - जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख - अस्तित्व में आए। विदेशी राजनयिकों का दूसरा दल इसी नव गठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के दौरे पर है। कश्मीर जाने वाले विदेशी राजनयिकों के पहले दल में अमेरिका के राजदूत के अलावा, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, बांग्लादेश, फिजी, मालदीव, नॉर्वे, फिलिपीन, मोरक्को, अर्जेंटीना, पेरू, नाइजर, नाइजीरिया, गयाना एवं टोगो के राजनयिक शामिल थे।