- भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी को जवाब देते नहीं बन रहा था
- चीनी पक्ष यह बताने में असफल रहा कि लद्दाख में 50 हजार सैनिक और बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती क्यों की
- भारत ने कहा कि चीनी सैनिकों की तैनाती दोनों ही देशों के बीच 1993 और 1996 में हुए समझौतों का उल्लंघन है
मास्को
लद्दाख में जंग जैसे हालात के बीच भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच वार्ता के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी को जवाब देते नहीं बन रहा था। बातचीत के दौरान चीनी पक्ष यह बताने में असफल रहा कि लद्दाख में 50 हजार सैनिक और बड़े पैमाने पर हथियारों की तैनाती क्यों की गई है। भारत ने कहा कि चीनी सैनिकों की तैनाती दोनों ही देशोंं के बीच 1993 और 1996 में हुए समझौतों का उल्लंघन है।
रूसी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से कहा कि इतने बड़े पैमाने पर चीनी सैनिकों की तैनाती से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर विवाद पैदा हुआ है। दो घंटे से अधिक चली बातचीत के दौरान दोनों ही पक्ष तनाव को खत्म करने पर सहमत हुए लेकिन चीन अपनी पूर्व स्थिति को ज्यादा बदलने पर सहमत नहीं हुआ।
LAC standoff : पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर लगातार मोर्चेबंदी से चीन के खिलाफ भारत का बढ़ गया बार्गेनिंग पावर
वांग यी रटा रटाया जवाब पूरी बातचीत के दौरान दोहराते रहे
चीन के विदेश मंत्री वांग यी वही रटा रटाया जवाब पूरी बातचीत के दौरान दोहराते रहे। चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'यह महत्वपूर्ण है कि अतिक्रमण करके आए सभी सैनिक और सैन्य साजो सामान वापस हटा लिए जाएं।' उनका इशारा भारतीय सैनिकों की कार्रवाई की ओर था। उधर, भारत ने पूरी तरह से चीन के इस आरोप को खारिज कर दिया कि हमारे सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार किया है।
चीन ने LAC पर झोंक दी है ताकत, 50 हजार सैनिक, मिसाइलें, रॉकेट, फाइटर जेट सब तैनात
-
चीन ने यहां सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, रॉकेट फोर्स और 150 फाइटर एयरक्राफ्ट भी तैनात कर रखे हैं। ये सब LAC पर हमले की रेंज के अंदर तैनात हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस क्षेत्र में यह सबसे ज्यादा सैन्य तैनाती है। जाहिर है कि भारत से तनाव बढ़ने पर मई के बाद से यह बढ़ता जा रहा है। माना जाता है कि PLA को स्थानीय कमांडर नहीं, सीधे पेइचिंग से कंट्रोल किया जाता है।
पेइचिंग के कहने पर ही पैंगॉन्ंग झील के दक्षिणी ओर चीनी सैनिक भारतीय स्थिति को डेली मॉनिटर करते हैं। PLA ने लाइट टैंक और इन्फैन्ट्री कॉम्बैट वीइकल सीमा पार भेजने की कोशिश है जिन्हें भारतीय सेना ने रोक दिया। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने इस क्षेत्र में भारी सेना और हथियार तैनात करना तेज कर दिया है। देश के अलग-अलग हिस्सों से सेना यहां बुलाई जा रही है। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने सुरक्षा विश्लेषकों के हवाले से दावा किया है कि एयर डिफेंस, सशस्त्र वाहन, पैराट्रूपर, स्पेशल फोर्स और इन्फैन्ट्री को देशभर के हिस्सों से बुलाकर इस क्षेत्र में लगाया गया है।
PLA के सेंट्रल थिअटर कमांड एयरफोर्स के H-6 बॉम्बर और Y-20 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ट्रेनिंग मिशन के लिए यहां तैनात किए हैं। लंबी-दूरी के ऑपरेशन, तैनाती के लिए अभ्यास और लाइव-फायर ड्रिल कई हफ्तों से जारी हैं। यह कार्रवाई उत्तरपश्चिम चीन के रेगिस्तान और दक्षिणपश्चिम चीन के तिब्बत क्षेत्र में की जा रही है। चीन सेंट्रल टेलिविजन (CCTV) ने पिछले हफ्ते दावा किया था कि PLA की 71वें ग्रुप सेना का HJ-10 ऐंटी-टैंक मिसाइल सिस्टम पूर्वी चीन के जियांगसू प्रांत से गोबी रेगिस्तान पहुंचा है।
PLA के तिब्बत मिलिट्री कमांड ने 4,500 मीटर की ऊंचाई पर संयुक्त ब्रिगेड स्ट्राइक एक्सरसाइज की है। PLA की 72वें ग्रुप सेना भी उत्तरपश्चिम में पहुंची है और यहां इसकी एयर डिफेंस ब्रिगेड ने भी लाइव-फायर ड्रिल की हैं जिनमें ऐंटी-एयरक्राफ्ट गन और मिसाइल पर अभ्यास किया गया।
स्पूतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ मतभेदों के बाद भी दोनों देशों के विदेश मंत्री क्षेत्र में शांति के दिशानिर्देशों पर सहमत हुए लेकिन अभी यह धरातल पर किस हद तक होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। बता दें कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर युद्ध जैसी तैयारी शुरू कर दी है। चीन ने 50 हजार सैनिक इस क्षेत्र में तैनात किए हैं। यहां एयरकाफ्ट और मिसाइलों की बड़े पैमाने पर तैनाती की गई है। वहीं, भारतीय सेना अपने फॉरवर्ड पोस्ट्स की ओर आने की कोशिशों पर नजर रख रही है। अभी माना जा रहा है कि चीन की हरकतें सिर्फ छेड़ने के लिए हैं और PLA किसी रणनीति के तहत कार्रवाई की तैयारी नहीं कर रही है। हालांकि, सीमा पर सशस्त्र झड़प के लिए वे तैयार हो सकते हैं।
चीन और पाकिस्तान की नौसेना के लिए काल बनेगा भारत का हाइपरसोनिक मिसाइल
रूस के अत्याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है। इस तकनीकी की मदद से अब भारत एंटी शिप मिसाइलें बना सकेगा। ये घातक मिसाइलें पलक झपकते ही शत्रुओं के एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर देंगी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ब्रह्मोस-2 नाम से एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है। रूस के मदद से तैयार ब्रह्मोस मिसाइल अभी सब सोनिक स्पीड (ध्वनि से तीन गुना ज्यादा रफ्तार) से वार करती है। इस तरह ब्रह्मोस-2 अपने पूर्ववर्ती मिसाइल से दोगुना ज्यादा रफ्तार से वार करेगी।
लद्दाख में भारतीय जमीन पर आंखे गड़ाए बैठा चीन बहुत तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहा है। चीन के पास जल्द ही तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। इसके अलावा चीन के पास बड़े पैमाने पर डेस्ट्रायर, फ्रीगेट्स और अत्याधुनिक सबमरीन का बेड़ा है। इसके अलावा चीन अपनी नौसेना के लिए कई घातक हथियार बनाने में जुटा हुआ है। चीन ने हाल ही में लंबी दूरी तक मार करने वाली डीएफ-27 मिसाइलों का परीक्षण किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने से चीन की टेंशन कई गुना बढ़ जाएगी।
चीन न केवल अपनी ताकत बढ़ा रहा है, बल्कि भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की नौसेना को घातक युद्धपोत और सबमरीन दे रहा है। चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर एक अहम हिस्सा है, दोनों देशों के बीच सैन्य हथियारों को लेकर भी कई डील हुई हैं। यही नहीं चीन पाकिस्तान के ग्वादर में विशाल नेवल बेस बना रहा है। अब चीन के हुडॉन्ग-झॉन्गहुआ शिपयार्ड ने पाकिस्तानी नौसेना के लिए बनाया टाइप-054AP श्रेणी का मल्टिपर्पज स्टेल्थ फ्रीगेट भी लॉन्च कर दिया है। ये फ्रीगेट रेडार को चकमा देने में भी सक्षम है। पाकिस्तान की नौसेना के पास इस समय केवल नौ फ्रीगेट्स, पांच सबमरीन और 10 मिसाइल बोट और तीन माइनस्वीपर हैं।
चीन से मिल रहे युद्धपोत से पाकिस्तानी नौसेना बेहद घातक हो जाएगी। ये युद्धपोत 4000 समुद्री मील तक हमला कर सकते हैं और इन पर जमीन से हवा और सबमरीन रोधी मिसाइलें लगी हुई हैं। पाकिस्तान को ये हथियार 2021-23 के बीच मिल जाएंगे। पाकिस्तान को मिलने वाली चीनी युआन क्लास की पनडुब्बी दुनिया में सबसे शांत मानी जाने वाली पनडुब्बियों में से एक है। इन 8 में से 4 वर्ष 2023 पाकिस्तान को मिल जाएंगी। डीजल इलेक्ट्रिक चीन की इस पनडुब्बी में ऐंटी शिप क्रूज मिसाइल लगी होती हैं। यह पनडुब्बी एयर इंडिपैंडेंट प्रपल्शन सिस्टम के कारण कम आवाज पैदा करती है जिससे इसे पानी के नीचे पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। पाकिस्तानी नौसेना ने हाल में ही अपनी एक पनडुब्बी को चीनी नौसेना के युद्धपोतों के बीच कराची में सुरक्षा के लिए तैनात किया था।
मॉस्को से अचानक तेहरान पहुंचे राजनाथ सिंह, जानिए क्यों अहम है यह दौरा
हाइपरसोनिक मिसाइल की दुनिया में सबसे आगे रूस चल रहा है। रूस ने अपनी 3M22 जिरकॉन मिसाइल को तैनात करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल भी जिरकॉन पर आधारित है। डीआरडीओ अगले पांच साल में स्क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। इसकी रफ्तार दो किलोमीटर प्रति सेकेंड से ज्यादा होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे अंतरिक्ष में सैटलाइट्स भी कम लागत पर लॉन्च किया जा सकते हैं। आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्टरी फॉलो करती हैं। इसका मतलब है कि उनके रास्ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। इससे दुश्मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है जबकि हाइपरसोनिक वेपन सिस्टम कोई तयशुदा रास्ते पर नहीं चलता। इस कारण दुश्मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्ता क्या है। स्पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा। यानी एयर डिफेंस सिस्टम इसके आगे पानी भरेंगे।
8 साल तक पति-पत्नी बने रहे, दिखाने के लिए बच्चा लिया गोद, मौत के बाद खुला राज दोनों थे युवक
चीन ने रॉकेट फोर्स और 150 फाइटर एयरक्राफ्ट भी तैनात किए
चीन ने यहां सतह से हवा में मार करने वाली ���िसाइलें, रॉकेट फोर्स और 150 फाइटर एयरक्राफ्ट भी तैनात कर रखे हैं। ये सब LAC पर हमले की रेंज के अंदर तैनात हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस क्षेत्र में यह सबसे ज्यादा सैन्य तैनाती है। जाहिर है कि भारत से तनाव बढ़ने पर मई के बाद से यह बढ़ता जा रहा है। माना जाता है कि PLA को स्थानीय कमांडर नहीं, सीधे पेइचिंग से कंट्रोल किया जाता है।