बेंगलुरु
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकारी नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का संसद में विरोध करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) देश से आरक्षण खत्म करना चाहती है।
खड़गे ने बेंगलुरु में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि नौकरियों और प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। इस फैसले ने हाशिए के समुदायों को चिंतित किया है। हम इसके खिलाफ संसद के भीतर और बाहर विरोध करेंगे। बीजेपी और आरएसएस लंबे समय से आरक्षण को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।'
Mallikarjun Kharge, Congress in Bengaluru: SC ruled that reservation in jobs & promotion is not a fundamental right. It has worried marginalized communities. We'll protest against it in&outside Parliament. BJP & RSS have been trying to get reservations scrapped for a long time. pic.twitter.com/ODnonSMO7D
— ANI (@ANI) February 9, 2020
एलजेपी भी जता चुकी है असहमति
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने भी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के प्रति नाराजगी जाहिर की। एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा, 'सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फरवरी 2020 को दिए गए निर्णय जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।'
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फ़रवरी 2020 को दिए गए निर्णय जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।
— Chirag Paswan (@ichiragpaswan) February 9, 2020
लोक जनशक्ति पार्टी उच्चतम न्यायालय के इस फ़ैसले से सहमत नहीं है यह निर्णय पूना पैक्ट समझौते के खिलाफ़ है।
— Chirag Paswan (@ichiragpaswan) February 9, 2020
पार्टी भारत सरकार से माँग करती है कि तत्काल इस संबंध में क़दम उठाकर आरक्षण / पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जिस तरीक़े से चल रही है उसी तरीक़े से चलने दिया जाए।
अपने अगले ट्वीट में एलजेपी सांसद ने लिखा है, 'लोक जनशक्ति पार्टी उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से सहमत नहीं है यह निर्णय पूना पैक्ट समझौते के खिलाफ है। पार्टी भारत सरकार से मांग करती है कि तत्काल इस संबंध में कदम उठाकर आरक्षण / पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जिस तरीके से चल रही है उसी तरीके से चलने दिया जाए।'
उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बदला
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि वह एससी/एसटी कैटिगरी में प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए क्वॉन्टिटेटिव डेटा एकत्र करे। हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर��ट में चुनौती दी गई थी, जिसे पलट दिया गया है। कोर्ट ने आदेश में कहा था कि डेटा एकत्र कर पता लगाया जाए कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में रिजर्वेशन दिया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को रिजर्वेशन देने के लिए निर्देश जारी नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा है कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।
'प्रमोशन में आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं'
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे। कोर्ट इसके लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता कि राज्य सरकार आरक्षण दे। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट (मंडल जजमेंट) का हवाला देकर कहा कि अनुच्छेद-16 (4) और अनुच्छेद-16 (4-ए) के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार डेटा एकत्र करेगी और पता लगाएगी कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सके। लेकिन ये डेटा राज्य सरकार द्वारा दिए गए रिजर्वेशन को जस्टिफाई करने के लिए होता है कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। लेकिन ये तब जरूरी नहीं है जब राज्य सरकार रिजर्वेशन नहीं दे रही है। राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है। और ऐसे में राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह पता करे कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है और आदेश कानून के खिलाफ है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिहाज से आरक्षण का मुद्दा काफी अहम है। क्योंकि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आरक्षा के मुद्दे पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव बीजेपी पर खूब आक्रामक हुए थे, जिसका उन्हें फायदा भी हुआ था। इस साल भी बिहार में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बहाने इस मुद्दे का चर्चा में आना गौर करने वाली बात है।