- इंडियन रेलवे के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची चाइनीज कंपनी
- कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर प्रॉजेक्ट कैंसल से जुड़ा मामला
- रेलवे ने गलवान घाटी घटना के बाद 471 करोड़ का प्रॉजेक्ट कैंसल किया था
- प्रॉजेक्ट की आगे की फंडिंग रेलवे खुद करने का फैसला किया है
नई दिल्ली
गलवान घाटी में चाइनीज सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों पर हिंसक हमला के बाद भारतीय रेलवे ने सबसे पहले #BoycottChina के तहत कानपुर और मुगलसराय के बीच ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से संबंधित चाइनीज कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल कर दिया था। उसके बाद बैन की तमाम घटनाओं से बौखलाकर चीन ने भारतीय रेलवे के खिलाफ इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में मामला दायर किया। शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों का हलफनामा सुने के बाद कोर्ट इस इस मामले का निपटारा कर दिया है। चाइनीज कंपनी ने इसलिए दिल्ली कोर्ट का रुख किया था क्योंकि वह नहीं चाहती है कि DFCIL बैंक गारंटी को इनकैश करे।
कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर का था प्रॉजेक्ट
रेलवे ने कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल और दूरसंचार के काम में धीमी प्रगति के कारण चीन की एक कंपनी का ठेका रद्द करने का निर्णय लिया था। मालगाड़ियों की आवाजाही के लिये समर्पित इस खंड 'ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर' के सिग्नल और दूरसंचार का काम रेलवे ने 2016 में चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टीट्यूट को दिया था।
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471 करोड़ का था ठेका
यह ठेका 471 करोड़ रुपये का है। रेलवे ने कहा कि कंपनी को 2019 तक काम पूरा कर लेना था, लेकिन अभी तक वह सिर्फ 20 प्रतिशत ही काम कर पाई है। इसी को आधार बताते हुए भारतीय रेलवे ने चाइनीज कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट कैंसल किया था।
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आगे रेलवे खुद करेगा फंडिंग
बता दें कि इस प्रॉजेक्ट की फंडिंग वर्ल्ड बैंक कर रहा थआ। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अभी तक वर्ल्ड बैंक ने अभी तक टेंडर को कैंसल करने को लेकर नॉन-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं दिया है। रेलवे ने फैसला किया है कि वह वर्ल्ड बैंक द्वारा लिए जाने वाले फैसलों का इंतजार नहीं करेगा और बाकी प्रॉजेक्ट की फंडिंग खुद करेगा।