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मेघालय के घने जंगलों में विश्व की सबसे बड़ी गुफा मछली मिली है। इसका वजन करीब दो पौंड या एक किलोग्राम और लंबाई डेढ़ फुट है। यह जमीन के 300 फुट नीचे रहती है। चूंकि इसे प्रकाश की जरूरत नहीं, इसलिए यह देख नहीं सकती। विश्व में इन भूमिगत मछलियों की 250 प्रजातियां अब तक दर्ज हैं, लेकिन वे सभी भारत में मिली इस नई मछली से 10 गुना तक छोटी हैं। नेशनल जियोग्राफिक पर जारी शोध के अनुसार पूर्वोत्तर के जंगल में ‘उम लडॉ केव’ में ये मछलियां मिलीं। पहली बार 2019 में जीवविज्ञानी डेनियल हैरिस ने इन्हें देखा था। तब शोध के लिए आवश्यक साधन नहीं थे। हैरिस इस जनवरी में एक फोटोग्राफर रॉबी शोन के साथ लौटे और जीवित मछलियों के सैंपल जुटाए। उन्होंने पानी में बिस्किट गिराकर उनमें से कुछ मछलियों को पकड़ा। 20 साल से गुफा-फोटोग्राफी कर रहे शोन ने दावा किया कि उन्होंने गुफा में इतना बड़ा जीव कहीं नहीं देखा।
केवल सर्दियों में पहुंचा जा सकता है
‘उम लडॉ’ जैसी कई गुफाएं मौजूद हैं, जिनमें मानव कभी नहीं गया। यहां केवल सर्दियों में पहुंचा जा सकता है, बाकी समय भारी बारिश इन जंगलों को दुनिया से बचाए रखती है। इन गुफा के जीवों को ट्रोग्लोबाइट कहा जाता है। उनकी पाचन प्रक्रिया धीमी होती है, वे जो कुछ खाते हैं उससे अधिकतम ऊर्जा पैदा करते हैं, उनकी आंखें नहीं होती, उनकी त्वचा पर पिग्मेंट नहीं होते जिससे वे रंगहीन होते हैं। नई प्रजाति की मछलियां गोल्डन माशीर से मिलती जुलती हैं।
खोज ने कई रहस्यों को दिया जन्म
इस खोज ने नए रहस्यों को जन्म दिया है। जमीन के भीतर रहते हुए यह मछली इतनी बड़ी कैसे हुई? गुफाओं में रहना इसने कैसे सीखा? भारतीय विशेषज्ञ नीलेश धानुकर व राजीव राघवन इस पर विस्तृत शोध कर रहे हैं।