एक ओर चंद्रयान-2 चंद्रमा पर तमाम शोध करने के लिए भेजा गया था, लेकिन पृथ्वी के बाहर भी जीवन की संभावनाओं को अब बल मिल गया है। खगोलविदों ने पहली बार अंतरिक्ष में मौजूद एक एग्जोप्लैनट (सौर मंडल से बाहर का ग्रह) की खोज की है, जिसमें पानी मिला है। इतना ही नहीं पानी मिलने की वजह से इस ग्रह पर पृथ्वी जैसे तापमान की भी खोज की गई है, जिससे वहां पर इंसान जिंदा रह सकता है।
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नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक इस ग्रह का नाम K2-18b है। यह ग्रह पृथ्वी के द्रव्यमान से आठ गुना बड़ा है। यह इकलौता ऐसा ग्रह है जो सौर मंडल (सोलर सिस्टम) के बाहर एक स्टार (सितारे) की परिक्रमा कर रहा है।
K2-18 b is a planet with a mass between Earth and Neptune in the habitable zone of its star. Its atmosphere is likely to be rich in water. Tsiaras et al.: https://t.co/nEblBgKBtB (free to read link) pic.twitter.com/pHKvvL5gcQ
— Nature Astronomy (@NatureAstronomy) September 11, 2019
यह ग्रह ठंडे और बौने सितारे K2-18 की परिक्रमा कर रहा है, जो पृथ्वी से करीब 110 प्रकाश वर्ष दूर सिंह तारामंडल में मौजूद है।
शोध के मुताबिक यह पहली ऐसी सफल खोज है जो किसी सुदूर ग्रह में वातावरण की मौजूदगी के बारे में बताती है, जहां पर पानी मौजूद है और वो भी द्रव्य के रूप (लिक्विड फॉर्म) में।
इस संबंध में ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के एंजेलोस सियारस कहते हैं कि पृथ्वी के अलावा जीवन की संभावना वाली किसी दूसरी दुनिया का पता चलना बेहद रोमांचक है।
A planetary first! Researchers detected signs of water vapor in the atmosphere of a faraway planet in the "habitable zone," where liquid water could potentially pool.
— NASA (@NASA) September 11, 2019
Read about this fascinating world and the findings from @NASAHubble data: https://t.co/wQ6dtmAnl8 pic.twitter.com/mlywWhJavC
उन्होंने आगे बताया कि K2-18b 'पृथ्वी 2.0' नहीं है, बल्कि इससे काफी भारी और अलग वातावरण रचना वाला ग्रह है। हालांकि यह ग्रह हमें इस मूलभूत सवाल के जवाब के नजदीक लेकर जाता है कि क्या वाकई पृथ्वी अनोखी है।
शोध के लिए इस टीम ने हब्बल स्पेस टेलीस्कोप से मिले 2016 और 2017 के ईएसए/एनएएसए डाटा का इस्तेमाल किया और एक ओपेन-सोर्स एल्गोरिद्म बनाई ताकि K2-18b के वातावरण के जरिये सितारे की रोशनी का विश्लेषण किया जा सके।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक इन नतीजों से जल वाष्प के आण्विक तंत्र का खुलासा हुआ और इससे वहां के वातावरण में हाइड्रोजन और हीलियम की मौजूदगी का भी पता चला।