प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरिया युद्ध शुरू होने की 70वीं वर्षगांठ पर दक्षिण कोरिया के लोगों के लिए एक वीडियो संदेश भेजा है। इसे आज सोल में आयोजित कार्यक्रम में दिखाया गया। मोदी ने कहा कि इस विशेष मौके पर वह उन शूरवीरों को सलाम करते हैं जिन्होंने कोरियाई प्रायद्वीप में शांति कायम करने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी। उन्होंने कहा कि भारत ने इस युद्ध के दौरान कोरियाई प्रायद्वीप में 60 पैरा फील्ड हॉस्पिटल बनाकर अपना योगदान दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोरियाई प्रायद्वीप में शांति कायम रखने और इसे बढ़ावा देने के लिए मैं राष्ट्रपति मून जेई-इन के प्रयासों की सराहना करता हूं।'
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कोरियाई युद्ध 1950 से 53 तक चला था। इसकी शुरुआत 25 जून, 1950 को उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया पर आक्रमण के साथ हुआ। यह शीत युद्ध काल में लड़ा गया सबसे पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था। कोरियाई युद्ध 1950 से 53 तक चला था। इसकी शुरुआत 25 जून, 1950 को उत्तरी कोरिया से दक्षिणी कोरिया पर आक्रमण के साथ हुआ। यह शीत युद्ध काल में लड़ा गया सबसे पहला और सबसे बड़ा संघर्ष था।
कोरियाई युद्ध
इस युद्ध में एक तरफ उत्तर कोरिया था जिसका समर्थन कम्युनिस्ट सोवियत संघ तथा साम्यवादी चीन कर रहे थे। दूसरी तरफ दक्षिणी कोरिया था जिसके साथ अमेरिका था। युद्ध अन्त में बिना निर्णय ही समाप्त हुआ। परन्तु इससे जनधन की व्यापक क्षति हुई। तबसे कोरिया प्रायद्वीप में तनाव बना हुआ है। उत्तर कोरिया के तानाशाह जब तब दक्षिण कोरिया पर हमला करने की धमकी देते रहते हैं।
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भारत का योगदान
इस साल इस युद्ध के 70 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में दक्षिण कोरिया ने उस युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय कर्नल ए जी रंगराज को मरणोपरांत अपने देश का सबसे बड़ा युद्ध सम्मान 'वॉर हीरो' से सम्मानित करने का फैसला किया है। लेफ्टिनेंट कर्नल ए जी रंगराज की अगुआई में 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस ने नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच हुई जंग में मोबाइल आर्मी सर्जिकल हॉस्पिटल को चलाया था। वे जिस प्लाटून की अगुआई कर रहे थे उसमें कुल 627 जवान थे।
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2.2 लाख लोगों का किया था इलाज
रंगराज और उनकी टीम ने इस युद्ध में घायल करीब 2.2 लाख लोगों का इलाज किया था। कर्नल रंगराज ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की थी और वह 1941 में सेना से जुड़े थे। 25 मार्च 2009 को उनका निधन हुआ था।