- एक वकील और एक जर्नलिस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
- याचिका में कांग्रेस, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और भारत सरकार को बनाया गया है प्रतिवादी
- एमओयू पर राहुल गांधी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री वांग जिया रुई ने हस्ताक्षर किए थे
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच हुए एग्रीमेंट के मामले की जांच की मांग की गई है। अर्जी में कहा गया है कि 2008 में कांग्रेस पार्टी और चाइना की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच हुए एग्रीमेंट की सीबीआई अथवा एनआईए से जांच कराई जाए। याचिका में कहा गया है कि एग्रीमेंट के तहत ये तय हुआ है कि दोनों पार्टी हाई लेवल का कोऑपरेशन और बातचीत कर सकते हैं।
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सुप्रीम कोर्ट में एक वकील और एक जर्नलिस्ट की ओर से अर्जी दाखिल की गई है और कहा गया है कि दोनों पार्टियों के बीच जो समझौता हुआ है उसकी एमओयू की डिटेलअभी तक उजागर नहीं हुई है और ये लोगों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। अर्जी में कहा गया है कि मामले में पार्दर्शिता जरूरी है। 7 अगस्त 2008 को बीजिंग में हुए समझौते के तहत एमओयू साइन हुए हैं जिसमें तय हुआ है कि दोनों पार्टीएमओयू के तहत क्षेत्रिय, द्वीपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मसले पर एक दूसरे से बात करेंगे।
सोनिया गांधी और राहुल गांधी बनाए गए प्रतिवादी
याचिका में कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और भारत सरकार को प्रतिवादी बनाया गया है। भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर हुए विवाद के बीच यह अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया जिसमें कहा गया है कि 2008 से लेकर 2013 के बीच चीन सीमा से करीब 6 सौ बार घुसपैठ की घटनाएं हुई ऐसे में एग्रीमेंट को पब्लिक किया जाए। याचिका मेंकहा गया कि दोनों देशों में दुश्मनी है फिर भी कांग्रेस ने दस्तखत किए।
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भाजपा ने बनाया बड़ा मुद्दा
चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के हमलों के सामना कर रही भाजपा ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के साथ कांग्रेस के संबंध को बड़ा मुद्दा बना लिया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस और सीसीपी के बीच हुए इसी समझौते के कारण मनमोहन सिंह ने चीन को हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन समर्पित कर दी थी। उन्होंने कहा कि जब डोकलाम हुआ तो राहुल गांधी भारत में चीनी राजदूत से मिलने चीनी दूतावास में चले गए। यह बात उन्होंने छुपाने की भी कोशिश की।
नड्डा ने ट्वीट में कहा, ‘पहले, कांग्रेस चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करती है। फिर, कांग्रेस चीन को भूमि सौंप देती है। डोकलाम मुद्दे के दौरान, राहुल गांधी गुपचुप तरीके से चीनी दूतावास जाते हैं। नाजुक स्थितियों के दौरान, राहुल गांधी राष्ट्र को विभाजित करने और सशस्त्र बलों का मनो���ल गिराने की कोशिश करते हैं। क्या ये सब एमओयू का प्रभाव है?’
क्या था 2008 का एमओयू
इस एमओयू पर राहुल गांधी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में अंतरराष्ट्रीय मामलों के मंत्री वांग जिया रुई ने हस्ताक्षर किए थे। इस मौके पर सोनिया गांधी और चीन के तत्कालीन उपराष्ट्रपति शी जिनपिंग उपस्थित थे। इस एमओयू पर ग्रेट हॉल ऑफ चाइना में हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत दोनों पार्टियों के बीच विचारों के आदान प्रदान को बढ़ावा देने की बात की गई थी।
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इस समझौते के बाद सोनिया गांधी ने चीन के लोगों की तारीफ करते हुए कहा था कि उन्होंने ओलंपिक खेलों को सफल बनाने के लिए काफी मेहनत की। साथ ही उनकी करीब आधे घंटे तक शी जिनपिंग और सीपीसी के जनरल सेक्रटरी हू जिंताओ के साथ भी बैठक हुई थी। इस बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे।