सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमिशन देने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के हवाले से राहुल का केंद्र पर हमला
राहुल गांधी ने केंद्र पर महिलाओं का अपमान करने का आरोप लगाते हुए फैसले की बीजेपी सरकार की हार बताया
हालांकि, मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में राहुल गांधी खुद ही घिर गए, हाई कोर्ट के वकील ने दे डाली नसीहत
वकील नवदीप सिंह ने उनके ट्वीट को रीट्वीट कर बताया कि 2010 में यूपीए सरकार ने दी थी HC के फैसले को चुनौती
नई दिल्ली
सेना में महिलाओं को स्थायी कमिशन देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर सोमवार को मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने मोदी सरकार पर महिलाओं के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि भारत की महिलाओं ने बीजेपी सरकार को गलत साबित किया है। हालांकि, ट्विटर पर ही हाई कोर्ट के वकील नवदीप सिंह ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि हाई कोर्ट ने भी यही फैसला दिया था और 2010 में तत्कालीन केंद्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई थी। उन्होंने कोर्ट के फैसलों पर राजनीति न करने की भी नसीहत दे डाली।
SC के फैसले का हवाला दे राहुल का मोदी सरकार पर वार
दरअसल, राहुल गांधी को सेना में महिलाओं को स्थायी कमिशन देने और केंद्र सरकार को अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की नसीहत संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश से केंद्र पर हमला का मौका मिल गया। उन्होंने ट्वीट किया, 'सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी कि महिला आर्मी अफसर कमांड पोस्ट या पर्मानेंट सर्विस के योग्य नहीं हैं क्योंकि वे पुरुषों से कमतर है। ऐसा करके सरकार ने सभी भारतीय महिलाओं का अपमान किया है। मैं भारत की महिलाओं को आवाज उठाने और बीजेपी सरकार को गलत साबित करने के लिए बधाई देता हूं।'
However the appeal against the Delhi HC decision that had granted this benefit to women officers was filed in 2010, when the current govt was not in power. That said, it's my sincere belief that such issues and judicial verdicts must not be politicised.https://t.co/r6S2cox3gB
— Navdeep Singh (@SinghNavdeep) February 17, 2020
हाई कोर्ट वकील की नसीहत- कोर्ट के फैसले पर न हो राजनीति
राहुल गांधी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए हाई कोर्ट के वकील नवदीप सिंह ने कहा कि ऐसे मसलों और कोर्ट के फैसलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने साथ में यह भी याद दिलाया कि हाई कोर्ट के फैसले को 2010 की तत्कालीन केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, न कि मौजूदा सरकार ने। बता दें कि 2010 में केंद्र में कांग्रेस की ही अगुआई में यूपीए की सरकार थी।
सिंह ने ट्वीट किया, 'दिल्ली हाई कोर्ट ने महिला अफसरों को यह लाभ देते हुए आदेश दिया था और उस फैसले के खिलाफ 2010 में अपील दायर हुई थी, तब मौजूदा सरकार सत्ता में नहीं थी। वैसे मेरा मत है कि ऐसे मसलों और न्यायिक फैसलों का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।'
बीजेपी का जवाबी हमला
बीजेपी ने भी राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए उन्हीं के अंदाज में कांग्रेस को महिला विरोधी ठहराया है। बीजे��ी नेता प्रीति गांधी ने ट्वीट किया, 'राहुल गांधी, किस सरकार ने भारतीय महिलाओं का अपमान किया? क्या आप जानते हैं कि 2010 में महिला अफसरों को लाभ देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। मैं भारत की महिलाओं आवाज उठाने और कांग्रेस सरकार को गलत साबित करने के लिए बधाई देती हूं।'
Which govt disrespected Indian women, @RahulGandhi?
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) February 17, 2020
Do you not know that it was the CONGRESS govt in 2010 that appealed in the SC against the Delhi HC decision to grant benefits to women officers?
I congratulate India’s women for standing up & proving the CONGRESS Govt wrong!! https://t.co/SHqUl5pDhd
क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर मुहर लगाते हुए सेना में महिला अफसरों को स्थायी कमिशन देने का फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अगर कोई महिला अफसर स्थायी कमिशन चाहती है तो उसे इससे वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सेना में महिलाओं को स्थायी कमिशन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सामाजिक और मानसिक कारण बताकर महिला अधिकारियों को अवसर से वंचित करना न सिर्फ भेदभावपूर्ण है, बल्कि यह अस्वीकार्य है। कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अपने नजरिए और मानसिकता में बदलाव लाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने 2010 में दिया था यही फैसला
बता दें कि सरकार ने महिला अधिकारियों को स्थायी कमिशन के 2010 के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2010 में शॉर्ट सर्विस कमिशन के तहत सेना में आने वाली महिलाओं को सेवा में 14 साल पूरे करने पर पुरुषों की तरह स्थायी कमिशन देने का आदेश दिया था। रक्षा मंत्रालय ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।