नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन के बहिष्कार की कवायद तेज हो गई है. चीन पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया खुलकर भारत के पक्ष में आ गया है. ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फरेल ने बुधवार को कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नियम और तकाजे को लेकर स्थापित व्यवस्था का भारत और ऑस्ट्रेलिया पालन कर रहे हैं लेकिन चीन ऐसा नहीं कर रहा.
ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त ने जोर दिया कि दक्षिण चीन सागर में चीन एकतरफा तरीके से यथास्थिति बदलने का प्रयास कर रहा है. यह इस विषय पर बनी आम सहमति और वार्ता के मुताबिक नहीं है. विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझा चिंताएं हैं.
उन्होंने कहा कि चीन ने अच्छा विकास किया है लेकिन ताकत के साथ जिम्मेदारी भी आती है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के दौर में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए बने नियम और तकाजे की व्यवस्था की हिफाजत करने की जरूरत है. ओ फरेल ने कहा, "दुर्भाग्य से हमारे लिए चिंता करने की वजह है कि हम इस प्रारूप का जितना पालन कर रहे हैं, बीजिंग इसके लिए समर्पित नहीं है."