अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ओर से कोरोना वायरस को 'चीनी वायरस' कहा जाना चीन के इतना चुभा कि उसने तीन अमेरिकी अखबारों के पत्रकारों को देश से बाहर कर दिया। न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, बुधवार को द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉशिंगटन पोस्ट और द वॉल स्ट्रीट जनर्ल से जुड़े पत्रकारों को देशनिकाला दिया जाना बीते कुछ वर्षों में विदेशी मीडिया पर चीन की ओर से की गई सबसे कठोर कार्रवाई है।
यह है अमेरिका-चीन के बीच ताजा विवाद की जड़
अमेरिका ने बदला लेने को मजबूर किया: चीन
एक बयान में कहा गया है, 'उन्हें हॉन्ग कॉन्ग और मकाओ समेत चीन के किसी हिस्से में बतौर पत्रकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।' पेइचिंग ने वॉइस ऑफ अमेरिका, द न्यूयॉर्क टाइम्स, द वॉल स्ट्रीट जर्नल, द वॉशिंगटन पोस्ट और टाइम मैगजीन को कहा है कि वह चीन में अपने स्टाफ, संपत्तियों, कामकाज और रियल एस्टेट प्रॉपर्टीज के बारे में लिखित जानकारी दे। वॉशिंगटन ने हाल ही में चीन की सरकारी मीडिया के लिए यही नियम लागू किए हैं।
चीनी विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी मीडिया संस्थानों पर की गई कार्रवाई को पूरी तरह जवाबी बताते हुए कहा कि उसे अपने मीडिया संस्थानों के खिलाफ अमेरिका की कार्रवाई के बदले में कदम उठाने को मजबूर किया गया है। वहीं, अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने चीन से इस कदम पर विचार करने को कहा।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने की अपील
पॉम्पियो ने कहा कि चीन अपने सरकारी मीडिया संस्थान की बराबरी अमेरिका के स्वतंत्र मीडिया संस्थानों से करके गलती कर रहा है। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'मुझे चीन के फैसेल पर दुख है। इससे दुनिया में स्वतंत्र पत्रकारिता के मकसद को धक्का लगेगा। वैश्विक संकट के दौर में चीन के लोगों को अधिक सूचनाएं और ज्यादा पारदर्शिता का जरूरत है ताकि उनकी जान बच सके।' उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उम्मीद है कि वो पुनर्विचार करेंगे।'
न्यूयॉर्क टाइम्स ने की आलोचना
उधर, द न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्यकारी संपादक डीन बकेट ने चीन की कार्रवाई की आलोचना करते हुए उम्मीद जताई कि दोनों देशों की सरकारें जल्द ही इस विवाद का समाधान कर लेगी। उन्होंने कहा कि द न्यूयॉर्क टाइम्स चीन में 1850 से ही रिपोर���टिंग कर रहा है। वहां उसके दुनिया के किसी भी दूसरे देश से ज्यादा पत्रकार हैं।