हाइलाइट्स:
- यह ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई के काफी करीब है
- ईरान के एक तिहाई इकोनॉमी पर प्रभाव, डैम कंस्ट्रक्शन से लेकर हाउसिंग प्रोजेक्ट में दखल
- अपनी नेवी और एयरफोर्स के साथ ही मिसाइल सिस्टम पर है कंट्रोल
नई दिल्ली
दिल्ली के लुटियंस इलाके में औरंगजेब रोड पर स्थित इजरायली दूतावास के बाहर शुक्रवार की शाम मामूली आईईडी विस्फोट हुआ है। इजरायल की जांच एजेंसी मोसाद को इस मामले में ईरान के ईरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) और कुद्स फोर्स पर शक है। आइए जानते हैं ये क्या है? साल 1979 में ईरानी क्रांति ने बाद जब अयातुल्ला रूहुल्लाह खुमैनी सत्ता में आए और देश में इस्लामिक गणतंत्र की वापसी हुई। ऐसे में खुमैनी और उनके समर्थकों की एक बड़ी चिंता थी कि वह उस सेना पर विश्वास नहीं कर सकते थे जिसने कुछ समय पहले ही पिछले शासक शाह मुहम्मद रजा पहलावी को सत्ता से बेदखल किया था। ऐसे में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर देश सेना के समानांतर एक मिलिट्री फोर्स इरानी रेवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स का गठन किया। इसमें ऐसे लड़ाकों को शामिल किया गया जो ईरान की नई राजनीतिक व्यवस्था और इस्लामी क्रांति के आदर्शों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध थे। अमेरिका 2018 में इसे आतंकी संगठन घोषित कर चुका है।
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ईरान के सुप्रीम लीडर के करीब
अपनी स्थापना के बाद IRGC देश में धीरे-धीरे एक बड़ा सैन्य, राजनीतिक और आर्थिक ताकत बन कर उभरा। यह ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई के काफी करीब है। इसके कमांडर नियमित रूप से खामनेई को सलाह देते रहते हैं। IRGC में करीब 2 लाख सैनिक हैं। इसके पास अपनी नेवी और एयरफोर्स भी है। देश के प्रमुख सैन्य अभियानों के साथ ही ईरान के सामरिक हथियारों विशेष रूप से मिसाइल की जिम्मेदारी भी इसके पास ही है। IRCG नेवी के पास होरमुज स्ट्रेट की सुरक्षा का जिम्मा है जिसके जरिये दुनिया के 20 फीसदी तेल की सप्लाई होती है।
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बासिज रेजिस्टेंस फोर्स पर कंट्रोल
IRGC इस्लामिक वालंटियर मिलिशिया वाली बासिज रेजिस्टेंस फोर्स पर कंट्रोल रखती है। इसमें करीब एक लाख पुरुष और महिला वॉलिंटियर्स हैं। ये लोग इस्लामिक क्रांति के प्रति वफादार हैं। इस बल को लोगों के असंतोष और विरोध को दबाने के लिए सड़क पर उतारा जाता है। साल 2009 में ईरान में व्यापक रूप से हुए विरोध प्रदर्शन को काबू करने के लिए इसका प्रयोग किया गया था। उस मय लोग प्रेसिडेंट महमूद अहमदीनेजाद के फिर से जीत जाने को लेकर सड़कों पर उतर आए थे।
ट्रस्ट, सब्सिडरी के जरिये ईरान की इकोनॉमी पर कंट्रोल
IRCG अपनी कई सब्सिडरी और ट्रस्ट के जरिये ईरानी की एक तिहाई इकोनॉमी पर कंट्रोल रखता है। मिलिट्री इंडस्ट्रीज के अलावा IRCG का अपना एक एक्टिव हाउसिंग डेवलपमेंट, डैम और रोड कंस्ट्रक्शन, ऑयल एंड गैस प्रोजेक्ट, फूड, ट्रांसपोर���टेशन और यहां तक की एजुकेशनल और कल्चरल एक्टिविटिज को लेकर भी एक्टिव रहता है। इसकी इंजीनियरिंग विंग खतम-ओल-अनबिया में हजारों कर्मचारी काम करते हैं। यह अरबो रुपये के कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग से जुड़े कॉन्ट्रेक्ट देती है।
कुद्स फोर्स क्या है?
कुद्स फोर्स IRCG की ही एक ब्रांच है। इसकी स्थापना ईरान-इराक युद्ध के दौरान 1980 में की गई थी। इसमें करीब 15 हजार सदस्य हैं। यह मिडिल ईस्ट में होने वाले संघर्षों में प्रत्यक्ष या अपरोक्ष रूप से शामिल रहा है। यह ईरान समर्थित मिलिशिया और सरकारों को सहयोग देता है। विशेष रूप से लेबनान, सीरिया, ईराक, यमन, फिलीस्तीन और अफगानिस्तान में इसकी अहम भूमिका रहती है। कुड्स फोर्स को यमन में सरकार के खिलाफ संघर्ष में हूती विद्रोहियों की लाइफलाइन माना जाता है। अमेरिका साल 2007 की शुरुआत में इसे आतंकवाद का समर्थक घोषित कर चुका है। वहीं कनाडा ने भी इसे साल 2012 में आतंक का समर्थन करने वाला बताया था।
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अमेरिका ने कर दी थी कुद्स फोर्स के कमांडर की हत्या
अमेरिका ने पिछले साल जनवरी में कुद्स फोर्स के कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की बगदाद में ड्रोन हमले में हत्या कर दी थी। अमेरिकी रक्षा विभाग ने कहा था कि सुलेमानी ने इराक में एक रॉकेट हमले को अंजाम दिया था। इसमें एक अमेरिकी कॉन्ट्रेक्टर की मौत हो गई थी। अमेरिका का कहना था कि सुलेमानी क्षेत्र में अमेरिकी राजनयिकों और सैनिकों पर हमला करने की योजना बना रहा था।