- कोरोना वायरस का इलाज ढूंढने की दिशा में ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी
- वैज्ञानिकों ने एक ऐंटी-पैरासाइट दवा के सिर्फ एक डोज से कोरोना वायरस को 48 घंटे में खत्म किया
- ऐंटी-पैरासाइट ड्रग इवरमेक्टिन का पहले से ही जीका, डेंगू जैसे वायरसों के इलाज में होता है इस्तेमाल
मेलबर्न
आज तकरीबन पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी का कहर झेल रही है। अब तक 11 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं, जबकि 61 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है वायरस नया है, लिहाजा अभी इसका कोई टीका है और न कोई एक खास इलाज। दुनियाभर में इसके इलाज और वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक रिसर्च में लगे हुए हैं। अब उम्मीद की एक किरण चमकती नजर आ रही है। दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिक इसकी काट ढूंढने के बहुत करीब पहुंच चुके हैं।
परजीवियों को मारने वाली दवा का कमाल
ऑस्ट्रेलिया में वैज्ञानिकों ने लैब में कोरोना वायरस से संक्रमित कोशिका से इस घातक वायरस को महज 48 घंटे में ही खत्म किया है और वह भी एक ऐसी दवा से जो पहले से ही मौजूद है। रिसर्चरों ने पाया कि दुनिया में पहले से ही मौजूद एक ऐंटी-पैरासाइट ड्रग यानी परजीवियों को मारने वाली दवा ने कोरोना वायरस को खत्म कर दिया। यह कोरोना वायरस के इलाज की दिशा में बड़ी कामयाबी है और इससे अब क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता साफ हो सकता है।
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दवा के सिर्फ एक डोज से 48 घंटे में कोरोना खत्म!
ऐंटी-वायरल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इवरमेक्टिन नाम की दवा की सिर्फ एक डोज कोरोना वायरस समेत सभी वायरल आरएनए को 48 घंटे में खत्म कर सकता है। अगर संक्रमण ने कम प्रभावित किया है तो वायरस 24 घंटे में ही खत्म हो सकता है। दरअसल आरएनए वायरस उन वायरसों को कहा जाता है जिनके जेनेटिक मटीरियल में आरएनए यानी रिबो न्यूक्लिक ऐसिड होता है। इस स्टडी को ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी की काइली वैगस्टाफ ने अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर लिखा है।
कोरोना युद्ध: ट्रेन की बोगियां ऐसे बन रहीं आइसोलेशन वॉर्डदेश में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग की तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही हैं। मरीजों के बढ़ते आंकड़े के देखते हुए सरकार भविष्य के लिए हर तैयारी कर रही है। अगर अस्पतालों में जगह कम पड़ती है तो मरीजों को रखने के लिए रेलवे के कोच आइसोलेशन वॉर्ड के रूप में इस्तेमाल किए जाएंगे। देखिए ये विडियो रिपोर्ट।
कई और वायरसों के इलाज में पहले से इस्तेमाल होती है यह दवा
स्टडी में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इवरनेक्टिन एक ऐसा ऐंटी-पैरासाइट ड्रग है जो एचआईवी, डेंगू, इन्फ्लुएंजा और जीका वायरस जैसे तमाम वायरसों के खिलाफ कारगर है। हालांकि, वैगस्टाफ ने साथ में यह चेतावनी भी दी है कि यह स्टडी लैब में की गई है और इसका लोगों पर परीक्षण करने की जरूरत होगी।
नोएडा (उत्तर प्रदेश)
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दिल्ली से सटे गौतमबुद्धनगर जिले (नोएडा) में स्थित सीजफायर कंपनी और अब तबलीगी जमात के कारण बड़ी संख्या में लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, नोएडा यूपी का सबसे बड़ा कोरोना संक्रामक जिला बना हुआ है। अभी तक यहां 50 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं। कुछ दिन पहले सीएम योगी ने नोएडा आकर यहां की तैयारियों की समीक्षा भी की थी और संतुष्ट नहीं होने पर तत्कालीन डीएम को पद से हटा भी दिया था।
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उत्तर प्रदेश का मेरठ जिला भी तबलीगी जमात के लोगों के कारण कोरोना वायरस का रेड स्पॉट बना हुआ है। जिले में अब तक कोरोना के 25 से ज्यादा केस मिल चुके हैं। पड़ोसी जिलों में भी कोरोना से संक्रमित मरीजों के मिलने का सिलसिला जारी है। सूत्रों के अनुसार, मेरठ में 100 से ज्यादा लोगों को क्वारंटीन में रखा गया है। हालांकि, इन लोगों में कोरोना की पुष्टि नहीं हुई है।
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यूपी की राजधानी लखनऊ तबलीगी जमात से जुड़े सदस्यों के कारण कोरोना वायरस के फैलाव का मुख्य केंद्र बना हुआ है। लखनऊ कैंट के सदर स्थित अली जान मस्जिद से मिले 12 तबलीगी जमात के सदस्य कोरोना पॉजिटिव निकले हैं। ये सभी सहारनपुर के हैं। बड़ी संख्या में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के मिलने से लखनऊ में प्रशासन ने अपनी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। प्रदेश में अब तक 1203 तबलीगी जमात के सदस्यों की पहचान की गई है। इनमें से 897 लोगों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया है जिसमें 47 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।
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यूपी में कोरोना वायरस का गढ़ बने ताज सिटी आगरा में सबसे ज्यादा संक्रमित जमाती मिले हैं। आगरा जिलाधिकारी पीएन सिंह के अनुसार, जिले में 25 नए मामलों की पुष्टि हुई है। इसी के साथ आगरा में कोरोना के मरीजों की संख्या 45 पहुंच चुकी है। प्रदेश में आगरा से ही शुरूआती कोरोना संक्रमित मिले थे।
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14वीं शताब्दी के सूफी ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के लिए प्रसिद्ध दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका देश के विभिन्न भागों में कोरोना वायरस फैलने का एक केन्द्र बनकर उभरा है। इस क्षेत्र में एक मार्च से 15 मार्च तक तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया था। निजामुद्दीन पश्चिम में तबलीगी जमात में हिस्सा लेने वाले छह लोगों की तेलंगाना में और जम्मू कश्मीर में एक व्यक्ति की मौत हुई। अकेले दिल्ली में ही इस कार्यक्रम में शामिल हुए 24 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए है। इसके अलावा कार्यक्रम में शामिल हुए 441 लोगों में इस महामारी के लक्षण दिखने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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उत्तर पूर्वी दिल्ली के इस क्षेत्र में सबसे पहले सऊदी अरब की यात्रा करने वाली एक महिला संक्रमित पाई गई। वह मौजपुर में मोहल्ला क्लिनिक के एक डॉक्टर के संपर्क में भी आ गई जो इस बीमारी से संक्रमित हो गए। ऐसा माना जाता है कि डॉक्टर सैकड़ों लोगों के संपर्क में आए और इसके बाद उनकी पत्नी भी इससे संक्रमित हो गई। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि अब तक, शाहदरा जिले (शाहदरा जिले के तहत दिलशाद गार्डन) में मरीजों की संख्या 11 है।
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मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी के रूप में मशहूर इंदौर शहर में कोरोना वायरस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। केवल इंदौर में कोरोना से संक्रमित 7 मरीजों की मौत हो चुकी है, वहीं प्रदेशभर में 11 मरीज अब तक दम तोड़ चुके हैं। मध्य प्रदेश सरकार के अनुसार अब प्रदेश में 164 कोरोना संक्रमित हो गए हैं, इसमें अकेले इंदौर में 115 मरीज शामिल हैं।
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केरल का कासरगोड कोरोना का रेड स्पॉट बना हुआ है। प्रदेश में कुल संक्रमितों मरीजों में से 40 फीसदी का संबंध यहीं से है। दिल्ली के तबलीगी जमात से जुड़े बड़ी संख्या में लोगों का केरल कनेक्शन भी सामने आया है। इसलिए, माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में प्रदेश में मरीजों की संख्या और बढ़ सकती है। वर्तमान में केरल में 295 लोग कोरोना से संक्रमित हैं।
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दिल्ली के तबलीगी जमात में शामिल हुए तमिलनाडु के 110 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। तमिलनाडु की हेल्थ सेक्रटरी के मुताबिक, जमात में शामिल हुए 1103 लोग अपनी मर्जी से सामने आए हैं। इनमें से 658 लोगों के सैंपल लिए गए हैं, जिसमें से 110 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। तमिलनाडु में कोरोना वायरस से 411 लोग संक्रमित हैं। इनमें सबसे ज्यादा मामले चेन्नई से सामने आए हैं, यहां 37 लोग कोरोना से संक्रमित हैं।
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राजस्थान में कोरोना वायरस के कुल 83 मामले सामने आए हैं जिनमें से भीलवाड़ा से 26 मामले मिले हैं। राहत की बात यह है कि पिछले चार दिनों में यहां एक भी पाजिटिव केस नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 1,194 के नमूने लिए हैं। भीलवाड़ा में कोरोना वायरस से दो लोगों की मौत हुई है लेकिन अधिकारियों का कहना है कि इन लोगों की मौत अन्य घातक बीमारियों से हुई है।
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सुरक्षित दवा मानी जाती है इवरमेक्टिन
वैगस्टाफ ने कहा, 'इवरमेक्टिन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है और यह सुरक्षित दवा मानी जाती है। अब हमें यह देखने की जरूरत है कि इसका डोज इंसानों में (कोरोना वायरस के खिलाफ) कारगर है या नहीं। अब यह अगला चरण है।' उन्होंने आगे कहा, 'ऐसे वक्त में जब हम वैश्विक महामारी से जूझ रहे हैं और इसका कोई अप्रूव्ड इलाज नहीं है तो अगर हमारे पास पहले से मौजूद दवाओं का कोई मिश्रण हो तो यह लोगों को जल्दी मदद देगा।'
क्लिनिकल ट्रायल का रास्ता हो सकता है साफ
हालांकि, इवरमेक्टिन कोरोना वायरस पर किस तरह काम करता है, इसकी सटीक जानकारी का पता नहीं चल सका है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह से यह दवा अन्य वायरसों पर काम करता है उसी तरह यह कोरोना पर भी काम करेगा। अन्य वायरसों में यह दवा सबसे पहले होस्ट सेल्स (वह कोशिकाएं जो सबसे पहले संक्रमण का शिकार हुईं और जिनसे अन्य कोशिकाओं में संक्रमण फैल रहा हो) में वायरस के प्रभ��व को खत्म करता है।
...लेकिन अभी करना होगा इंतजार
स्टडी की एक अन्य को-ऑथर रॉयल मेलबर्न हॉस्पिटल की लियोन कैली ने बताया कि वह कोरोना वायरस की इस संभावित दवा को लेकर बहुत रोमांचित हैं। हालांकि, उन्होंने चेताया कि प्री-क्लिनिकल टेस्टिंग और उसके बाद क्लिनिकल ट्रायल्स के चरण अभी भी बाकी हैं। इन चरणों के नतीजों के बाद ही कोरोना वायरस के इलाज में इवरमेक्टिन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।