एक दो नहीं पूरे 40 हजार शरणार्थी हिन्दू. कहने को हिन्दुस्तानी हैंलेकिन 22 साल से अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर हैं. इसी मजबूरी के तहत यह हर रोज 600 ग्राम चावल और 5 रुपये रोज पर गुजारा कर हैं. सफाई से रहने के लिए साल में तीन साबुन मिलते हैं. तीन साल पहले तक तो एक ही मिलता था. चप्पल आज भी पूरे साल में एक ही मिलती है. छोटे बच्चों को 300 ग्राम चावल और 2.5 रुपये रोज मिलते हैं पेट भरने के लिए. लेकिन अफसोस की बात यह है कि एक अक्टूबर से यह सब भी बंद हो जाएगा. यह हिन्दू कोई और नहीं मिजोरम की ब्रू जनजाति के लोग हैं. जिनकी पहचान वैष्णव हिन्दू के रूप में होती है.
इसलिए अपने ही देश में शरणार्थी बनने को हुए मजबूर
40 हजार शरणार्थी हिन्दुओं के हक की लड़ाई लड़ने वाली संस्था भारत हितरक्षा अभियान के सुमित मोहरिया का कहना है कि 22 साल पहले मिजोरम से आतंक के चलते यह लोग जान बचाकर अपने घर और खेतीबाड़ी छोड़कर त्रिपुरा की मुख्य आबादी से करीब 50 किमी दूर शरण लेने को मजबूर हुए थे. यह 40 हजार लोग 7 कैम्पों में त्रिपुरा की पहाड़ियों पर रह रहे हैं. इन लोगों के पास आधार कार्ड नहीं है. राशन कार्ड है तो वो भी अस्थाई है. स्थायी सिर्फ वोटर कार्ड है.
2010 में की थी मिजोरम वापस जाने की कोशिश
इस अभियान से जुड़े अभय जैन बताते हैं कि केन्द्र में मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान करीब 7 से 8 हजार लोगों को वापस मिजोरम भेजने की कोशिश की गई थी. यह लोग जब मिजोरम पहुंचे तो एक बार फिर से इन्हें परेशान किया गया और वहां रहने नहीं दिया गया. जिसके चलते यह लोग फिर से त्रिपुरा वापस आ गए और 7वां कैम्प ऐसे ही लोगों का है.
सरकार के सामने इस तरह मांग रखेंगे कैम्प में रह रहे शरणार्थी
अभय जैन का कहना है कि एक बार त्रिपुरा और मिजोरम सरकार के साथ केन्द्र सरकार ने बातचीत कर समस्या का हल निकालने की कोशिश की थी. केन्द्र सरकार ने वादा किया था कि शरणार्थी अगर वापस जाएंगे तो उन्हें वहां घर बनाने के लिए रुपये दिए जाएंगे. लेकिन 40 हजार शरणार्थियों की मांग है कि प्रति परिवार 5 एकड़ ज़मीन खेती के लिए, सुरक्षा के लिहाज से 500-500 परिवारों के गांव बसाए जाएं और ज़िला परिषद बनाई जाए. लेकिन अभी तक ऐसे कोई हालात बने नहीं हैं. इसी लिए एक सितंबर से एक रैली निकाली जाएगी. इसके माध्यम से राष्ट्रपति, पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, चीफ जस्टिस और त्रिपुरा-मिजोरम के राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी.
1 अक्टूबर से बंद हो जाएगा 40 हजार हिन्दुओं का राशन
सरकार सभी शरणार्थियों को फिर से मिजोरम में बसाना चाहती है. यही वजह है कि सरकार ने शरणार्थी कैम्प में रह रहे सभी 40 हजार शरणार्थियों को अल्टीमेटम दिया है कि वह एक अक्टूबर तक वापस मिजोरम चले जाएं. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनको हर रोज दिया जाने वाला राशन बंद कर दिया जाएगा.