मलेशिया के प्रधानमंत्री डॉ तुन महातिर ने हाल में कहा था कि वो कश्मीर पर दिए अपने बयान को वापस नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि कश्मीर का मसला संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के अनुसार हल होना चाहिए.
इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि भारत और मलेशिया के बीच तनाव और बढ़ेगा या भारत इस पर चुप्पी साधे रखेगा.
महातिर ने कहा था कि भारत ने कश्मीर को ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा किया हुआ है. इस बयान पर भारत असंतुष्ट है. मीडिया में ये भी ख़बरें आईं कि भारत मलेशिया से आने वाले पाम ऑयल का बहिष्कार करेगा.
प्रधानमंत्री महातिर ने कहा, "हम अपने दिल की बात करते हैं, हम न तो अपने बयान वापस लेते हैं और ना ही अपना पक्ष बदलते हैं. मलेशिया का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव से कश्मीर के लोग लाभान्वित होते रहे हैं. इसलिए हम न केवल भारत और पाकिस्तान से बल्कि अमरीका समेत सभी देशों से अपील करते हैं कि संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का सम्मान किया जाए."
ये बयान उन्होंने 22 अक्तूबर को मीडिया से बातचीत में कहा था. उन्होंने कहा, "अगर ऐसा नहीं है तो संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन की क्या ज़रूरत?"
आगे उन्होंने कहा, "कभी कभी, आपसी रिश्तों में तनाव आ जाता है लेकिन इन हालात में भी मलेशिया दोस्ताना बने रहना पसंद करता है. कुछ लोग बयान को पसंद कर सकते हैं और कुछ लोग पसंद नहीं भी कर सकते हैं. फिर भी, हमें लोगों के लिए बोलना ज़रूरी है."
इस बीच मलेशिया के अगले प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल दातो अनवर ने कहा है कि मलेशिया और भारत के बीच आए तनाव को दोस्ताना तरीक़े से हल करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि भारत के साथ अच्छे संबंध रखना मलेशिया का लिए ज़रूरी है.
उन्होंने कहा, "पीएम महातिर ने कश्मीर के मुद्दे पर शायद मलेशियाई लोगों के एक हिस्से की भावनाओं को ज़ाहिर किया है. हमारे प्रधानमंत्री हमेशा भरोसेमंद और सुसंगत बयान देते हैं. फिर भी मैं चाहता हूं कि ये मामला दोस्ताना तरीक़े से हल हो."
मलेशिया और भारत के बीच व्यापार अपेक्षाकृत मलेशिया के लिए फ़ायदेमंद है. इसलिए कुछ सालों से ये लाभ ले रहा मलेशिया इसे नहीं छोड़ना चाहेगा.
बुनियादी उद्योग मंत्री टेरेसा कोक ने कहा कि भारतीय ट्रेड एसोसिएशन ने मलेशिया से पाम ऑयल आयात के बहिष्कार का आह्वान किया है जोकि चिंताजनक है.
टेरेसा कोक पर पाम ऑयल से संबंधित उद्योग की भी ज़िम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, "पाम ऑयल बायकॉट की अपील दोनों देशों के बीच रिश्तों के लिए एक झटका है. एकतरफ़ा फ़ैसले लेने की बजाय एसोसिएशन को दोनों देशों के बीच दोस्ताना तरीक़े से मसले हल होने का इंतज़ार करना चाहिए."
उन्होंने ये भी कहा कि 'मलेशियाई सरकार दोनों देशों के बीच व्यापार को और बढ़ाने की संभावनाओं को तलाश रही है. क्योंकि भारत से व्यापार पाम ऑयल पर ही ख़त्म नहीं होता. तेल, गैस, ऑटोमोबाइल्स, इलेक्ट्रॉनिक, फ़ूड और केमिकल समेत कई अन्य चीज़ों पर भी दोनों देशों के बीच व्यापार होता है.'
उन्होंने कहा कि केवल एक व्यापारिक संगठन ने ऐसा कहा है, भारत रकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से ऐसी कोई घोषणा नहीं की है. इसलिए हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इस मामले पर अंतिम फ़ैला लेंगे.
मलेशिया के एक पूर्व मंत्री दातो कोहिलान ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस तरह के बयान से बचना चाहिए.
उन्होंने कहा, "अगर मीडिया में आई ख़बरों पर भरोसा किया जाए तो भारत की ओर से कार्यवाही का मलेशिया पर असर पड़ सकता है. किसी तरह मामले का हल होना चाहिए. भारत ने अधिकतम पाम ऑयल आयात कर मलेशिया को सहारा दिया. हमें इस बात को याद रखने की ज़रूरत है."
वो कहते हैं, "साल 2009 में मलेशिया के पाम ऑयल की क़ीमतें काफ़ी गिर गई थीं, उस समय मैंने भारत के कॉमर्स मंत्री कमलनाथ से बात की थी. उन्होंने समर्थन देने का भरोसा जताया और भारत सरकार की ओर से अधिकतम आयात के कारण फिर से क़ीमतें चढीं. और मौजूदा वक़्त में पाम ऑयल की क़ीमते फिर गिर चुकी हैं, ऐसे में भारत की ओर से लिया गया कोई निर्णय हालात को और ख़राब करेगा."
उन्होंने आशंका जताई कि अगर भारत कोई भी फ़ैसला लेता है तो पाम ऑयल निर्यात में 20 से 25 प्रतिशत की कमी आ जाएगी.
उनके अनुसार, "मौजूदा समय में भारत सरकार पाम ऑयल पर 45 प्रतिशत टैक्स लेती है. अगर इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया तो इससे निश्चित तौर पर मलेशिया असर पड़ेगा."
मलेशियान एसोसिएशन इंडियन चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव दातो एटी कुमाराराजा कहते हैं, "पीएम महातिर के बयान को पाम ऑयल से जोड़ने की वे ही लोग कोशिश कर रहे हैं जिनकी मंशा कुछ और है. हमारे आर्थिक संबंध बड़े मज़बूत हैं और निजी सेक्टर आधारित मुक्त अर्थव्यवस्था पर इसका कोई स्थाई असर नहीं पड़ने वाला है."
उन्होंने बीबीसी से कहा कि अंतरराष्ट्री�� नेताओं के सामने अपना पक्ष रखना कोई नई बात नही है और भारत की ओर से आने वाले किसी प्रतिक्रिया से संबंधों पर कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा.
कुमारराजा ने कहा कि 'पाम ऑयल उत्पादन में नवंबर से जनवरी के बीच उत्पादन बढ़ जाता है और इस बार बारिश भी अच्छी हुई है. इसलिए इस दौरान क़ीमतों में कुछ उतार चढ़ाव आ सकता है. लेकिन मैं नहीं मानता कि ये पीएम महातिर के बयान से इसका कोई संबंध होगा.'
पिछले साल भारत ने मलेशिया से 1.65 अरब डॉलर का पाम ऑयल आयात किया था. अनुमान है कि इस साल भारत मलेशिया से 1.8 अरब डॉलर का पाम ऑयल आयात करेगा.
वो कहते हैं, "इसलिए अगर प्रभावित होगा तो 1.8 अरब डॉलर का व्यापार है. चीन के साथ बदर मलेशिया प्रोजेक्ट पर 12 अरब डॉलर और ईसीआरएल पर 15 अरब डॉलर के व्ययापार पर मुश्किलें आई थीं. लेकिन चीजें सही दिशा में गईं और चीन के साथ हमारे संबंध और मज़बूत हुए. भारत के साथ भी यही होगा."
हालांकि पूर्व उप मंत्री दातो मुरुगिया का कहना है, "महातिर कम समय के लिए प्रधानमंत्री हैं. पकातन हड़ापन गठबंधन समझौते के अनुसार, नए प्रधानमंत्री आएंगे. इसलिए भारत को महातिर के बयान को नज़रअंदाज़ करना चाहिए."
राजनीतिक विश्लेषक मुथारान का कहना है कि कुछ लोगों का मानना है कि कश्मीर मुद्दे पर मलेशिया के प्रधानमंत्री की समझ ग़लत है क्योंकि महातिर का दावा है कि भारत ने कश्मीर में ज़बरदस्ती क़ब्ज़ा जमाया हुआ है, जोकि ग़लत है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "संभव है कि मलेशिया के विदेश मंत्री ने इस मामले में उनके बयान को कुछ और तरह से ज़ाहिर किया हो."
वो कहते हैं कि भारत तीन कार्रवाई कर सकता है, पहला वो मलेशिया से पाम ऑयल का आयात बढ़ा सकता है. दूसरे, वो आयात घटा सकता है और तीसरा मलेशियाई पाम ऑयल की गुणवत्ता जाँच में और कड़ाई हो सकती है. ऐसी स्थिति में मलेशियाई पाम ऑयल की क़ीमतें गिर सकती हैं. लेकिन मलेशिया की मुद्रा की क़ीमत घट गई है तो इससे निर्यात में इज़ाफ़ा होगा.
उनके अनुसार, इसलिए भारत सामान्य तौर पर ऑयल नहीं ख़रीदता है तो ऐसा नहीं लगता कि इससे तत्काल मलेशिया पर असर पड़ेगा.
साथ ही वो ये कहते हैं कि अगर मलेशिया से पाम ऑयल का आयात भारत कम कर देता है तो वो इसके लिए इंडोनेशिया के पास जाएगा.
लेकिन मलेशिया भारत की ज़रूरत को कई सालों से पूरा कर रहा है, ये देखना होगा कि क्या इंडोनेशिया ऐसा कर पाएगा.
अगर ऐसा होता है तो दूसरी तरफ़ भारत में भी पाम ऑयल की क़ीमतें बढ़ेंगी.
वो कहते हैं, "मलय मुस्लिम आबादी कश्मीर मुद्दे के बारे में बहुत कुछ नहीं जानती है. इन सालों में उन्होंने कश्मीर के बारे में न कुछ कहा ना ही चिंतित हुए. वो सोचते हैं कि ये भारत का आंतरिक या भारत पाकिस्तान के बीच का मामला है. अपने 22 साल के लंबे कार्यकाल में महातिर ने पाकिस्तान के साथ एक मज़बूत संबंध बनाया है. दूसरी तरफ़ वो आधिकारिक रूप से भारत का दो तीन बार दौरा भी कर चुके हैं."
मुथारन के अनुसार, इस बयान से मलेशिया के प्रधानमंत्री को राजनीतिक फ़ायदा भी नहीं मिलने वाला है.