चीन ने भारत के साथ अंतरिक्ष के क्षेत्र में मिलकर काम करने की पेशकश की है. ऐसा भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग के तुरंत बाद हुआ है. हाल ही प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की अंतरिक्ष में खोज का अभियान अंतरराष्ट्रीय स्पेस कॉर्पोरेशन और चीन के साथ मिलकर अंतरिक्ष में चल रही खोजों को और मजबूत बना सकता है.
साथ ही चीन और भारत के एक-दूसरे पर विश्वास से भविष्य की तकनीकों के विकास में भी आर्थिक आदान-प्रदान और आपसी भरोसे को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. ऐसा सरकारी चीनीमीडिया 'द ग्लोबल टाइम्स' के हवाले से कहा गया है.
भारत के अंतरिक्ष अभियान का डर भी दिखाया गया
हालांकि अख़बार की रिपोर्ट में चीन को कई सारी एहतियात बरतने को भी कहा गया है. इसमें कहा गया है कि अगर भारत भटक जाता है और उसकी महत्वाकांक्षाएं बढ़ जाती हैं तो यह भारत और चीन के बीच अंतरिक्ष के हथियारों की दौड़ में भी बदल सकता है. वर्तमान में दोनों देशों का अंतरिक्ष के क्षेत्र में कोई भी आपसी सहयोग नहीं है.
ये रहे हैं अंतरिक्ष में अभी तक भारत के सबसे खास सहयोगी
अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के पारंपरिक पार्टनर रूस (पहले का सोवियत यूनियन) और फ्रांस रहे हैं. भारत ने अमेरिका और जापान के अंतरिक्ष अभियानों में भी भागीदारी की है. कुछ साल पहले, भारत ने पाकिस्तान को छोड़कर बाकी सारे दक्षिण एशिया के लिए भी एक सैटेलाइट लांच की थी.
मध्य पूर्व, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और यहां तक कि यूरोप के देशों ने भी या तो भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्राम के अनुभवों की सहायता लेने की या उसके साथ पार्टनरशिप करने की इच्छा जताई है.
नागरिक अभियानों पर माना गया फोकस लेकिन सेना भी होगी मजबूत
गुरुवार को प्रकाशित इस रिपोर्ट में हू वेइजिया ने अंतरिक्ष में भारतीय-चीनी सहयोग के लिए नई संभावनाएं शीर्षक के लेख में लिखा है, "भारत का लॉन्च और खोज की तकनीकों को इस तरीके से विकसित करने का लक्ष्य है कि ये आगे मिलिट्री के आधुनिकीकरण में काम आएं. हालांकि भारतीय अंतरिक्ष अभियान अभी तक ज्यादातर नागरिक जरूरतों पर फोकस रहा है लेकिन भारतीय सेना को परीक्षण, कम्युनिकेशन, यातायात और मिसाइल निर्माण आदि के क्षेत्र में बहुत सहायता मिलेगी."