नई दिल्ली
चीन ने पूर्वी लद्दाख के चुशूल सेक्टर के सामने भारी संख्या में फौजें भेज दी हैं। उससे पहले हथियारों और भारी युद्धक उपकरणों से पूरी तरह लैस भारतीय सैनिकों ने ठाकुंग (Thakung) से लेकर रेक इन दर्रा (Req in La) तक की सभी महत्वपूर्ण चोटियों पर अपनी मोर्चेबंदी मजबूत कर ली ताकि भविष्य में चीनी सेना के किसी भी दुस्साहसिक प्रयासों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
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अग्रिम मोर्चों तक पहुंचे आर्मी चीफ
इलाके में दोनों देशों ने एक-दूसरे के आमने-सामने भारी संख्या में फौजियों, टैंकों, हथियारयुक्त वाहनों और हॉवित्जर तोपों में तैनात कर रखा है। इस बीच भारतीय थल सेना के प्रमुख जनरल एम. एम. नरावणे ने गुरुवार को चुशूल सेक्टर पहुंचकर वहां की रक्षा तैयारियों का जायजा लिया। वो शुक्रवार को दिल्ली लौटने से पहले इलाके में उत्तर दिशा की तरफ अग्रणी चौकियों का मुआयना करेंगे।
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एयर चीफ ने किया सैन्य हवाई अड्डों का निरीक्षण
लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,488 किमी की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चरम पर पहुंचे तनाव के बीच भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया ने बुधवार को हशिमारा (Hashimara) समेत पूरे ईस्टर्न सेक्टर में अग्रणी मोर्चों पर बने सैन्य हवाई अड्डों का निरीक्षण किया। एक सीनियर ऑफिसर ने कहा, 'वैसे तो पूरी एलएसी पर भारी संख्या में सैनिकों और हथियारों की तैनाती के कारण हालात बहुत गंभीर हैं, लेकिन पूर्वी लद्दाख में स्थिति बिल्कुल विस्फोटक है।'
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मॉस्को में रूसी रक्षा मंत्री से मिले राजनाथ सिंह
उधर, भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लेने रूस की राजधानी मॉस्को में हैं जहां उन्होंने रूस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगू (General Sergei Shoigu) से मुलाकात की है। सूत्रों की मानें तो चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगे (Wei Fenghe) ने भी अपने समकक्ष राजनाथ सिंह के साथ शुक्रवार को बैठक के लिए समय मांगा है। हालांकि अभी तक भारत की ओर से इस पर कोई जवाब नहीं दिया गया है।
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29-30 की रात भारत ने इन चोटियों पर की मोर्चेबंदी
एलएसी पर बिल्कुल विकट परिस्थितियों के बीच दोनों देशों ने सैन्य बातचीत का रास्ता खोलकर रखा है। चुशूल-मोल्डो बॉर्डर पॉइंट पर गुरुवार को चौथे दौर की ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत हुई। हालांकि, इस बार भी बातचीत बेनतीजा रही। चीन इस बात से हैरत में पड़ा है कि भारत ने 29-30 अगस्त की रात को कैसे पेंगोंग झील (Pangong Tso), स्पांगुर गैप (Spanggur Gap), रेजंग दर्रे (Rezang La) और रेंचिन पहाड़ियों से गुजरने वाले रेकिन दर्रे (Reqin La) पर अपनी मोर्चेबंदी कैसे कर ली। एक अधिकारी ने कहा, 'पीएलए (पीपल्स लिब्रेशन आर्मी) को इसका जरा भी आभास नहीं था। इसने चुशूल सेक्टर के सामने अतिरिक्त फौजें भेज दी हैं, लेकिन हम भी वहां बहुत मजबूत और बिल्कुल तैयार हैं। इतना ही नहीं, पूरे पूर्वी लद्दाख में हम पूरी तरह चौकस हैं।'