हाइलाइट्स:
- राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में पूरी हुई चर्चा, मगर लोकसभा में हंगामा
- विपक्षी दल लगातार नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के खिलाफ खोले हैं मोर्चा
- अबतक दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते रहे हैं पीएम
- मोदी राज्यसभा में जवाब देकर संसदीय परंपरा में लिख सकते हैं नया अध्याय
नई दिल्ली
किसान आंदोलन को लेकर संसद में घिरी केंद्र सरकार एक अनूठा नजारा दिखा सकती है। लोकसभा में विपक्ष ने सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। राष्ट्रपति के अभिभाषण और आम बजट पेश होने के बाद, जब भी कार्यवाही शुरू हुई, हंगामा हो गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अबतक राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब भी नहीं दे पाए हैं। ऐसे में इस बात की संभावना बढ़ गई है कि मोदी केवल राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दे सकते हैं। उच्च सदन में अभिभाषण और किसान आंदोलन पर चर्चा शुक्रवार को पूरी हो गई थी। अगर मोदी ऐसा करते हैं तो वह देश के संसदीय इतिहास में एक नई इबारत लिखेंगे। उनसे पहले किसी प्रधानमंत्री ने केवल राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब नहीं दिया है।
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क्या रहा है संसदीय इतिहास?
परिपाटी यही है कि प्रधानमंत्री दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के बाद धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हैं। आज तक केवल दो ही बार ऐसा हुआ है जब प्रधानमंत्रियों ने लोकसभा में इस चर्चा में हिस्सा न लिया हो। पहली बार 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और दूसरी बार 2009 में, जब मनमोहन सिंह पीएम थे। हालांकि दोनों ही मौकों पर प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में भी भाषण नहीं दिया था। 1999 में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब दिया था और राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह ने। 2009 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री और लोकसभा के नेता प्रणब मुखर्जी ने दोनों सदनों में जवाब दिया था। ऐसा चार बार हुआ है जब प्रधानमंत्री ने केवल निचले सदन में जवाब दिया हो, राज्यसभा में नहीं।
सोमवार को क्या होगा?
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण से जुड़े प्रस्ताव को अबतक पारित नहीं किया है। यह इस बात का भी संकेत है कि सरकार को उम्मीद है कि गतिरोध अभी खत्म किया जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी को शुक्रवार को लोकसभा में जवाब देना था मगर हंगामा इतना हुआ कि कार्यवाही स्थगित होती चली गई। अब सोमवार सुबह 10.30 बजे उनके राज्यसभा में बोलने का कार्यक्रम तय है। अगर वे ऐसा करते हैं तो इतिहास में पहले प्रधानमंत्री होंगे जो लोकसभा के बजाय केवल राज्यसभा में जवाब देंगे। हालांकि एक संभावना यह भी है कि अपने पूर्ववर्तियों की तरह मोदी भी राज्यसभा में न बोलें। वे किसी वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री को राज्यसभा भेजकर धन्यवाद प्रस्ताव पर जवाब दिलवा सकते हैं।
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अगर प्रधानमंत्री राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हैं तो कई विपक्षी दल उस दौरान वॉकआउट कर सकते हैं। लोकसभा में गतिरोध बरकरार है, ऐसे में सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में कहा कि विपक्ष से बातचीत में अगर सहमति बनती है तो अगले हफ्ते अभिभाषण पर चर्चा हो सकती है। सोमवार को लगभग 17 विपक्षी दलों की बैठक भी होती है जिसमें लोकसभा की रणनीति नए सिरे से बन सकती है। उसमें यह भी तय हो सकता है कि आम बजट पर चर्चा के दौरान हंगामे को जारी रखा जाए या चर्चा होने दी जाए।