हाइलाइट्स:
- इजरायली दूतावास के बाहर शुक्रवार शाम को हुआ था ब्लास्ट, कई एजेंसियां कर रहीं जांच
- सोशल मीडिया के जरिए ‘जैश- उल- हिंद' नाम के संगठन ने ली जिम्मेदारी, मेसेज वायरल
- इस ‘जैश उल हिंद’ का जुड़ाव ईरान के ‘जैश-उल-अद्ल’ की आइडियोलॉजी से संभव
- ‘जैश-उल-अद्ल’ ने कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से किया था अगवा
नई दिल्ली
इजरायली दूतावास के बाहर हुए धमाके की जांच में जुटी सुरक्षा एजेंसियां ‘जैश-उल-हिंद’ के बारे में जानकारी जुटा रही हैं। कथित तौर पर इसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी ली है। जांच से जुड़े सूत्रों ने कहा कि अब से पहले ‘जैश-उल-हिंद’ नाम का कोई संगठन नहीं देखा गया। खुफिया एजेंसियों संगठन का पता टेलिग्राम के जरिए लगा। मेसेज में सबसे ऊपर ‘A STRIKE IN THE HEART OF DELHI’ लिखा है। अंग्रेजी में लिखे मेसेज के आखिर में धमकी दी है कि यह तो अभी सिर्फ शुरुआत है...आगे हम भारत के बड़े शहरों को टारगेट करेंगे। धमाके वाली जगह पर जांच का फोटो भी संगठन ने मेसेज के साथ पोस्ट किया है। सूत्रों की मानें, ‘जैश उल हिंद’ नाम का संगठन ‘जैश-उल-अद्ल’ की आइडियोलॉजी से जुड़ा हो सकता है।
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ईरान में ऐक्टिव है ‘जैश-उल-अद्ल’
‘जैश-उल-अद्ल’ को ईरानी आतंकी संगठन माना जाता है। ‘जैश-उल-अद्ल’ संगठन ने ही कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से अगवा करके पाकिस्तानी सेना को सौंप दिया था। खुफिया एजेंसी के एक पूर्व अधिकारी की मानें तो ‘जैश-उल-अद्ल’ और ‘जैश-अल-अद्ल’ नाम के दोनों आतंकी संगठन दक्षिणपूर्वी ईरान बेस्ड है। इनका इलाका पाकिस्तान बॉर्डर से सटा है। अगर यह संगठन वाकई अस्तित्व में आया है, तो खतरे की घंटी है। इस समूह का दावा है कि यह सिस्तान और बलोचिस्तान की आजादी के लिए लड़ रहा है। ईरान का मानना है कि इस समूह का अल कायदा से भी जुड़ाव है। इसकी स्थापना साल 2012 में जुंदाल्लाह नाम के एक सुन्नी कट्टरपंथी समूह के लोगों ने की थी। इस समूह को ईरान के अलावा जापान, न्यूजीलैंड और अमेरिका तक में आतंकी संगठन करार दिया जा चुका है।
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जाधव को कैसे किया था अगवा?
‘जैश-उल-अद्ल’ के पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई से बेहद करीबी रिश्ते हैं। साल 2018 में यह बात सामने आई थी कि कुलभूषण जाधव को ईरान के चाबहार पोर्ट से मुल्ला ���मर बलोच ईरानी नाम के आतंकी ने अगवा किया था। मुल्ला उमर इसी ‘जैश-उल-अद्ल’ से जुड़ा हुआ था। जाधव के हाथ बांध दिए गए, उसकी आंखों पर पट्टी डाली गई और फिर उसे एक कार में धकेल दिया गया। उसे ईरान-बलोचिस्तान बॉर्डर पर स्थित मश्केल नाम के कस्बे में लाया गया। यहां से उसे क्वेटा और फिर इस्लामाबाद ले जाया गया। बलोच ऐक्टिविस्ट मामा कदीर बलोच ने 2018 में एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पूरे अपहरण कांड की पोल खोली थी।
'ISI ने जैश-उल-अद्ल को दिए थे करोड़ों रुपये'
कदीर बलोच ने दावा किया था कि जाधव को जैश-उल-अद्ल ग्रुप ने ईरान के सरबाज की गोल्डश्मिट सीमा के पास से किडनैप किया था। ये चाबहार से 52 किमी दूर है। जाधव को सरबाज एक व्यापार समूह ने बुलाया था। ये व्यापार समूह जैश-उल-अद्ल के लिए काम करता है। इस किडनैपिंग के लिए आईएसआई ने मुल्ला उमर को जाधव की किडनैपिंग के लिए करोड़ों रुपये दिए थे। बलोच के मुताबिक, पाकिस्तान को पता था कि जाधव ईरान में एक बिजनेसमैन है। वह कभी बलोचिस्तान आया ही नहीं। उसे ईरान से ही अगवा किया गया। बाद में आईएसआई ने दावा किया कि उन्होंने जाधव को बलोचिस्तान से पकड़ा।