पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। उन्होंने दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली। किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके जेटली को कैंसर हो गया था। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल जाना था।
मोदी फिलहाल यूएई में हैं। उन्होंने जेटली की पत्नी और बेटे से फोन पर बात की। दोनों ने मोदी से अपना विदेश दौरा रद्द न करने की अपील की। मोदी यूएई दौरे के बाद जी-7 समिट में हिस्सा लेने दोबारा फ्रांस जाएंगे। उन्हें बहरीन भी जाना है।
जेटली की पार्थिव देह उनके आवास पर रखी गई है। यहां गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा, रामविलास पासवान, चिराग पासवान, प्रकाश जावड़ेकर, विजेंद्र गुप्ता, शाजिया इल्मी, शाहनवाज हुसैन, मनोज तिवारी, गौतम गंभी���, एस जयशंकर, डॉ. हर्षवर्धन समेत कई नेता उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इससे पहले नड्डा ने बताया कि रविवार सुबह 10 बजे के बाद पार्थिव देह अंतिम दर्शन के लिए भाजपा मुख्यालय ले जाई जाएगी। दोपहर बाद निगमबोध घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा।
‘देश को बनाने में उनका अहम योगदान’
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘जेटली के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध हूं। वे गजब के वकील, सुलझे हुए सांसद और उत्कृष्ट मंत्री थे। देश को बनाने में उन्होंने अहम योगदान दिया। उनके जाने से राजनीति और बुद्धिजीवियों की दुनिया में एक खालीपन आ गया है।’’
Extremely saddened by the passing of Shri Arun Jaitley after battling a long illness with fortitude and dignity. A brilliant lawyer, a seasoned parliamentarian, and a distinguished Minister, he contributed immensely to nation building.
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 24, 2019
Shri Arun Jaitley possessed a unique ability of discharging the most onerous responsibility with poise, passion and studied understanding.
— President of India (@rashtrapatibhvn) August 24, 2019
His passing leaves a huge void in our public life and our intellectual ecosystem. Condolences to his family and associates #PresidentKovind
‘मेरा सौभाग्य रहा कि दशकों तक उनके साथ रहा’
मोदी ने अरुण जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “अरुण जी महान राजनेता थे। बुद्धिजीवी होने के साथ उन्हें कानूनी महारत प्राप्त थी। मैंने जेटली जी की पत्नी संगीता और बेटे रोहन से बातचीत कर संवेदनाएं प्रकट की हैं। अरुण जी में गंभीरता और विनोदप्रियता का अनूठा संगम था। समाज के हर वर्ग में लोग उन्हें चाहते थे। संविधान, इतिहास, सार्वजनिक नीति और प्रशासन की उन्हें गहरी समझ थी। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। देश की आर्थिक उन्नति में योगदान दिया, सुरक्षा को मजबूत किया और ऐसे कानून बनाने में महती भूमिका निभाई जो जनता के लिए सहूलियत वाले हों। भाजपा से उनका अटूट रिश्ता रहा। आपातकाल में वो छात्र नेता के तौर पर सक्रिय रहे। उनके निधन से मैंने एक अमूल्य मित्र खो दिया है। ये मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने उनके साथ कई दशकों तक काम किया। वे सदा हमारे दिलों में रहेंगे। ओम शांति...।”
During his long political career, Arun Jaitley Ji held multiple ministerial responsibilities, which enabled him to contribute towards India’s economic growth, strengthening our defence capabilities, creating people friendly laws and enhancing trade with other nations.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 24, 2019
With the demise of Arun Jaitley Ji, I have lost a valued friend, whom I have had the honour of knowing for decades. His insight on issues and nuanced understanding of matters had very few parallels. He lived well, leaving us all with innumerable happy memories. We will miss him!
— Narendra Modi (@narendramodi) August 24, 2019
‘परिवार का सदस्य खोया’
अरुण जेटली जी के निधन से अत्यंत दुःखी हूँ, जेटली जी का जाना मेरे लिये एक व्यक्तिगत क्षति है।
— Amit Shah (@AmitShah) August 24, 2019
उनके रूप में मैंने न सिर्फ संगठन का एक वरिष्ठ नेता खोया है बल्कि परिवार का एक ऐसा अभिन्न सदस्य भी खोया है जिनका साथ और मार्गदर्शन मुझे वर्षो तक प्राप्त होता रहा।
कैंसर के इलाज के लिए अमेरिका भी गए थे
सांस लेने में तकलीफ होने के बाद जेटली 9 अगस्त को एम्स में भर्ती हुए थे। जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। वे इस बीमारी के इलाज के लिए 13 जनवरी को न्यूयॉर्क गए थे और फरवरी में वापस लौटे। जेटली ने अमेरिका से इलाज कराकर लौटने के बाद ट्वीट किया था- घर आकर खुश हूं। उन्होंने अप्रैल 2018 में भी दफ्तर जाना बंद कर दिया था। 14 मई 2018 को एम्स में ही उनके गुर्दे (किडनी) प्रत्यारोपण भी हुआ था, वे शुगर से भी पीड़ित थे। सितंबर 2014 में वजन बढ़ने की वजह से जेटली की बैरियाट्रिक सर्जरी भी कराई गई थी।
भाजपा की जीत के जश्न में शामिल नहीं हुए थे जेटली
जेटली को छह महीने पहले भी जांच के लिए एम्स में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें इलाज के लिए यूके और यूएस जाने की सलाह दी थी। लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद भाजपा कार्यालय में हुए कार्यक्रम में भी वो नजर नहीं आए थे। उन्होंने कैबिनेट की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था। मई 2019 में उन्होंने मोदी से कह दिया था कि नई सरकार में वे शामिल नहीं हो पाएंगे। इसके बाद मोदी उनसे मिलने घर पहुंचे थे।
1973 में ग्रेजुएट, एक साल बाद छात्र संघ के अध्यक्ष बने
जेटली के पिता महाराजा किशन जेटली और मां रतन प्रभा थीं। जेटली के पिता भी वकील थे। जेटली ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से पूरी की। 1973 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। अरुण जेटली 1973 में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के लिए गठित राष्ट्रीय समिति के संयोजक थे।
24 मई 1982 को उनका विवाह संगीता से हुआ। उनका एक बेटा रोहन और बेटी सोनाली है। जेटली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना और प्रसारण, कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद मोदी सरकार में उन्हें वित्त और रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी संभाला। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया।
जेटली के 66 साल
जन्म: 28 दिसंबर, 1952
1973 : दिल्ली के श्रीराम कॉलेज से स्नातक।
1974 : दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष बने।
1975 : आपातकाल के दौरान गिरफ्तार किए गए।
1977 : दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली। वकालत शुरू की। एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव बनाए गए।
1980 : भाजपा में शामिल हुए।
1990 : एडिशनल सॉलिसिटर जनरल बने। बोफोर्स केस में दलीलें दीं।
1991 : भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल।
1998 : यूएन आमसभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए।
1999 : वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण (स्वतंत्र प्रभार) के साथ विनिवेश मंत्रालय भी संभाला।
2000 : राज्यसभा पहुंचे। इसके साथ ही कानून मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।
2006 : पुन: राज्यसभा सांसद निर्वाचित किए गए।
2009 : राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने। वकालत छोड़ी।
2012 : तीसरी बार राज्यसभा सांसद बने।
2014 : मोदी सरकार में वित्त के साथ रक्षा मंत्रालय का प्रभार भी संभाला।
2018 : किडनी ट्रांसप्लांट हुआ।
24 अगस्त 2019 : दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन।