- अर्णब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने पर बिदक गए थे कुणाल कामरा
- सुप्रीम कोर्ट का मजाक उड़ाते एक के बाद किए थे कई ट्वीट, माफी मांगने से इनकार
- ओपन लेटर में लिखा- मुझे ऐसी वीआईपी ऑडियंस और कहां मिलेगी, मजा आ रहा है
- SC से और कई मामलों में सुनवाई को कहा, कामरा के मुताबिक, वो ट्वीट नहीं हटाएंगे
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट की कथित अवमानना को लेकर कमीडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है। कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने मंजूरी दी थी। कमीडियन ने सुप्रीम कोर्ट के जजों और वेणुगोपाल के नाम एक चिट्ठी लिखी है। कामरा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि उन्होंने जो भी ट्वीट्स किए, वह सुप्रीम कोर्ट के 'प्राइम टाइम लाउडस्पीकर (अर्णब गोस्वामी) के पक्ष में दिए गए भेदभावपूर्ण फैसले पर मेरी राय थी।' उन्होंने कहा कि न तो वे माफी मांगेगे, न ही वकील करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने 'सुप्रीम कोर्ट जजों और देश के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी जैसी ऑडियंस मिली है, वो शायद सबसे वीआईपी है।'
लिवइन में रहने, शराब पीने की छूट...UAE ने इस्लामी कानूनों में किए बड़े बदलाव
कुणाल कामरा ने क्या लिखा है?
अपनी चिट्ठी में कामरा लिखते हैं, "प्रिय जजों, श्री केके वेणुगोपाल जी, मैंने हाल ही में जो ट्वीट किए, उन्हें न्यायालय की अवमानना बताया गया है। मैंने जो भी ट्वीट किए वे सुप्रीम कोर्ट के एक प्राइम टाइम लाउडस्पीकर के पक्ष में दिए गए पक्षपाती फैसले के प्रति मेरा नजरिया था। मुझे लगता है कि मुझे यह मान लेना चाहिए कि मुझे अदालत लगाने में बड़ा मजा आता है और अच्छी ऑडियंस पसंद आती है। सुप्रीम कोर्ट जजों और देश के शीर्ष कानूनी अधिकारी जैसी ऑडियंस शायद सबसे वीआईपी हो। लेकिन मुझे समझ आता है कि मैं किसी भी जगह परफॉर्म करूं, सुप्रीम कोर्ट के सामने वक्त मिल पाना दुर्लभ होगा।"
बाइडेन के जीतते ही अमेरिका की नाक के नीचे पहुंचा चीन, अब इस देश को देने जा रहा कर्ज
कामरा आगे लिखते हैं, "मेरी राय नहीं बदली है क्योंकि दूसरों की निजी स्वतंत्रता के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट की चुप्पी बिना आलोचना के नहीं गुजर सकती। मैं अपने ट्वीट्स वापस लेने या उनके लिए माफी मांगने की मंशा नहीं रखता हूं। मुझे लगता है कि वे यह खुद बयान करते हैं। मैं अपनी अवमानना याचिका, अन्य मामलों और व्यक्तियों जो मेरी तरह किस्मतवाले नहीं हैं, की सुनवाई के लिए समय मिलने (कम से कम 20 घंटे अगर प्रशांत भूषण की सुनवाई को ध्यान में रखें तो) की उम्मीद रखता हूं। क्या मैं यह सुझा सकता हूं कि नोटबंदी से जुड़ी याचिका, J&K के विशेष दर्ज को रद्द करने वाले फैसले के खिलाफ याचिका, इलेक्टोरल बॉन्ड्स की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका और अन्य कई ऐसे मामलों में सुनवाई की ज्यादा जरूरत है। वरिष्ठ एडवोकेट हरीश साल्वे की बात को थोड़ा सा मरोड़कर कहूं तो "अगर ज्यादा महत्वपूर्ण मामलों को मेरा वक्त मिलेगा तो आसमान फट पड़���गा क्या?"
No lawyers, No apology, No fine, No waste of space 🙏🙏🙏 pic.twitter.com/B1U7dkVB1W
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 13, 2020
SC में लगे महेश जेठमलानी की फोटो: कामरा
कामरा ने चिट्ठी के अंत में लिखा है, "सुप्रीम कोर्ट ने मेरे ट्वीट्स को अबतक कुछ भी घोषित नहीं किया है लेकिन वे जब भी करें तो मैं उम्मीद करता हूं कि अदालत की अवमानना घोषित करने से पहले वे थोड़ा हंसेंगे। अपने एक ट्वीट में मैंने सुप्रीम कोर्ट में महात्मा गांधी की जगह हरीश साल्वे की फोटो लगाने को कहा था। मैं जोड़ना चाहूंगा कि पंडित नेहरू की फोटो हटाकर महेश जेठमलानी की फोटो लगा दी जाए।"
चीन की लालच से बर्बादी की कगार पर इस देश का पर्यावरण, जंगल-जमीन और जानवरों पर बुरा असर
अटॉर्नी जनरल ने क्या कहा था?
इस मामले में श्रीरंग काटनेशवारकर ने अवमानना कार्रवाई के लिए लेटर पिटिशन भेजा था। इस पर गौर करने के बाद अटॉर्नी जनरल ने सहमति दी। वेणुगोपाल ने कहा है कि कुणाल कामरा ने जो ट्वीट किया है, वह बेहद आपत्तिजनक है और ऐसे में कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हो सकती है। उन्होंने कहा कि आजकल देखने को मिल रहा है कि लोग सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट की निंदा करने लगे हैं। लोग समझते हैं कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वह सीधे सुप्रीम कोर्ट और उसके जजों की निंदा कर सकते हैं।