अयोध्या भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से केस लड़ने वाले वकीलों ने फिल्म पटकथा लेखक सलीम खान और जावेद अख्तर के पांच एकड़ जमीन को लेकर दिए गए बयान पर नाखुशी जताई है। सलीम-जावेद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अयोध्या में नई मस्जिद के निर्माण के लिए जो पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है, उस पर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल का निर्माण कराया जाए।
अयोध्या मामले पर फिल्मी हस्तियों की कोई भूमिका नहीं
वकीलों का कहना है कि फिल्मी लोगों ने मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं किया था और उनकी अयोध्या मसले में कोई भूमिका भी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में एक मुस्लिम पक्षकार की तरफ से पेश होने वाले वकील एमआर शमशाद ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से मिलने वाली जमीन पर स्कूल या अस्पताल का निर्माण इस मुद्दे को दबाना होगा।
उन्होंने कहा कि देश भर में अस्पतालों की जरूरत है। अयोध्या मुद्दे से देश में व्यवस्था के काम करने का इम्तेहान हुआ। हमें वो सारे काम करने चाहिए जिससे व्यवस्था कानून के मुताबिक काम करने के लिए विवश हो जाए।
हिंदुओं को 2.77 एकड़ जमीन और मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन
उधर, बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने अयोध्या में मस्जिद निर्माण को पांच एकड़ जमीन देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के फैसले में अयोध्या में हिंदुओं को 2.77 एकड़ जमीन दी गई, जबकि मुसलमानों को पांच एकड़ जमीन। मुसलमानों को भी 2.77 एकड़ जमीन ही दी जानी चाहिए थी। तसलीमा ने अयोध्या फैसले पर ट्वीट कर कहा कि यदि मैं जज होती तो मैं अयोध्या की 2.77 एकड़ जमीन सरकार को देती, ताकि वहां पर एक आधुनिक स्कूल का निर्माण कराया जा सके, जिसमें सभी बच्चे मुफ्त में पढ़ाई करें।
इस मामले से जुड़े एक अन्य वकील ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि वर्तमान मामला मुस्लिमों के प्रतिनिधित्व से जुड़ा है, इससे नामचीन हस्तियों का कुछ लेना देना नहीं है। उन्होंने कहा कि न तो हम इन लोगों की सलाह सुनना चाहते हैं और न ही उनकी सलाह पर कोई टिप्पणी करना चाहते हैं। मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से केस लड़ने वाले वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे और मीनाक्षी अरोड़ा ने तो इन लोगों के बयान पर टिप्पणी करने से ही इन्कार कर दिया।