जीवन के सफर की कई उलझनें सुलझ जाती हैं, अगर अच्छे हमसफर का साथ मिल जाए। अरुण जेटली स्वयं को इस मामले में भाग्यशाली मानते थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि पत्नी संगीता का साथ उन्हें इत्मीनान का अहसास देता है। अन्य मौकों पर भी गाहे-बगाहे जेटली के जीवन में परिवार की अहमियत झलक ही जाती थी।
बड़े कद और पद के साथ सामाजिक जीवन को कुशलता से जीने में सक्षम बनाने का श्रेय भी जेटली पत्नी को ही दिया करते थे। जेटली का विवाह 1982 में पं. गिरधारी लाल डोगरा की पुत्री संगीता से हुआ था। गिरधारी लाल लगभग 25 साल तक जम्मूकश्मीर की शेख अब्दुल्ला सरकार में वित्त मंत्री रहे थे। विवाह बिल्कुल पारंपरिक तरीके से हुआ था। शादी से पहले पारिवारिक मित्रों के जरिये ही दो-चार मुलाकातें हुईं और बातें तय हो गईं। जेटली इस विवाह से इसलिए भी खुश थे, क्योंकि उन्हें भरोसा था कि सियासी परिवार से होने के कारण संगीता
राजनीति में उनकी व्यस्तताओं को समझ सकेंगीं। संगीता ने कभी उन्हें निराश भी नहीं होने दिया। जेटली के शब्दों में कहें तो पत्नी संगीता के होने से उन्हें इत्मीनान रहता था कि सब कुछ सही चलेगा। उन्होंने जिम्मेदारियों को इतनी बखूबी से अपना लिया था कि राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्तता के बाद भी जेटली के सामाजिक जीवन पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा। पत्नी संगीता हर जगह आगे बढ़कर भूमिकाएं संभालती रहीं।
जिम्मेदारियों का अहसास:
मां और पिता दोनों ही तरफ से जेटली का परिवार बहुत बड़ा था। इसके अलावा राजनीतिक सक्रियता के कारण सामाजिक दायरा भी व्यापक रहा। इस बड़े दायरे में हर जिम्मेदारी को सहजता से निभाने की क्षमता को लेकर जेटली पत्नी संगीता से बेहद प्रभावित रहे। एक साक्षात्कार में उन्होंने बताया था कि कब, कहां, कितने बजे पहुंचना है। किस रिश्तेदार का न्योता आया है। कौन कितना महत्वपूर्ण है, इन सब बातों को संगीता ने हमेशा बेहतर तरीके से संभाला।
खुलकर करते थे तारीफ:
यारों के यार कहे जाने वाले जेटली का स्वभाव घर-परिवार के मामले में भी उतना ही खुला था। वह पत्नी को दोस्त की तरह मानते और सम्मान देते थे। वह पत्नी की समझ और स्वभाव के हमेशा कायल रहे। उन्होंने कभी पत्नी की खूबियों की चर्चा में कंजूसी भी नहीं की। वह खुलकर बताया करते थे कि कैसे पत्नी संगीता ने हर जगह और हर मोर्चे पर उन्हें संभाला। एक साक्षात्कार में जेटली ने बताया था कि राजनीति में सक्रिय होने के बाद उनकी व्यस्तता बढ़ गई थी। परिवार को वह उतना समय नहीं दे पाते थे, जितना वकालत के दिनों में संभव था, बावजूद इसके संगीता ने कभी शिकायत नहीं की।
रुचियों में समानता ने जीवन को बनाया रुचिकर:
जेटली अपनी और पत्नी संगीता की रुचियों में समानता से भी अभिभूत रहते थे। पति-पत्नी मैच भी साथ बैठकर देखा करते थे। बेटी सोनाली और बेटे रोहन के पालन- पोषण और उन्हें संस्कार देने का श्रेय भी जेटली पत्नी को ही देते थे। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि दोनों बच्चों में जो योग्यता और शिष्टता है, उसका श्रेय संगीता को जाता है। परिस्थितियां अनुकूल होने के बाद भी राजनीति और लाइमलाइट से दूर रहने की पत्नी की आदत भी जेटली को लुभाती रही।