नई दिल्ली
दिल्ली का सीलमपुर इलाका फिर चर्चा में है। चर्चा की वजह फिर वही है, प्रदर्शन और हिंसा। सीएए के खिलाफ रविवार को लोग सड़कों पर बैठे और रोड बंद कर दिया। फिर दोपहर को लोग उस रोड को खुलवाने के लिए सड़कों पर बैठ गए। इससे आमजन की परेशानी रात होते-होते और बढ़ गई। प्रदर्शन के बीच नारेबाजी, पत्थरबाजी जमकर चालू थी। कुछ लोगों को भीड़ ने बुरी तरह पीटा भी। पूछने पर यही जवाब होता- यह पत्थर चला रहा था।
प्रदर्शन में कंफ्यूजन
प्रदर्शन को समझने के लिए सबसे पहले यह समझना होगा कि सीलमपुर को गोकलपुर से जोड़ता रोड नंबर 66 करीब 4 किलोमीटर लंबा है। यहां आमने-सामने अलग-अलग समुदाय की आबादी रहती है। बीच में 50 से ज्यादा गलियां पड़ती हैं। हर गली के कोने पर लोग खड़े थे। यहां यह समझना, खासकर मौजपुर के आगे के क्षेत्र में मुश्किल हो रहा था कि गली के कोने पर खड़े लोग किस तरफ हैं।
दिल्लीः #Jafrabad में लग रहे हैं 'शाहीनबाग खाली करो' के नारे #CAA pic.twitter.com/mmsSgzlYKR
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) February 23, 2020
पहले जाफराबाद में CAA के विरोध में शुरू हुआ प्रदर्शन
सबसे पहले हम पहुंचे जाफराबाद मेट्रो स्टेशन, जहां सीएए के खिलाफ प्रदर्शन किया जा रहा था। वहां सैंकड़ों की संख्या में महिलाएं बैठी थीं और आजादी के नारे लगातार लग रहे थे। लोगों ने शुरुआत में एक तरफ की सड़क बंद की। लेकिन भीड़ होते-होते रास्ता दोनों तरफ से तकरीबन बंद ही हो गया। धरने की जगह से कुछ आगे (मौजपुर की तरफ) बहुत से प्रदर्शनकारी खड़े थे। उनका दावा था कि आगे से पत्थर चल रहे हैं। हालांकि, बाद में पाया गया कि दूसरे पक्ष के लोग वहां से इतने दूर थे कि पत्थर इस तरफ आ ही नहीं सकते थे।
दिल्ली के जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सीएए के खिलाफ प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं। आजादी के नारे लगा रहे हैं विरोध करते लोग। #Jafrabadprotest #Jafrabad pic.twitter.com/4ykjBQpyDE
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पत्थरबाजी, कई का फूटा सिर
सीलमपुर से मौजपुर की तरफ आते हुए मामला साफ था। एक तरफ सीएए के विरोध में लोग और दूसरी तरफ सीएए के समर्थन में लोग। कन्फ्यूजन शुरू होता है इससे आगे। यहां एक तरफ कबीरनगर तो दूसरी तरफ कर्दमपुरी है। सीएए के समर्थन में खड़े लोगों पर कथित रूप से कर्दमपुरी की तरफ से पत्थरबाजी हो रही थी। हमारे सामने वहां कुछ के सिर फूटे, जिन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। कुछ का तो यह तक कहना था कि पट्रोल बम छोड़े जा रहे हैं। हालांकि, ऐसा कुछ देखने में नहीं आया।