- भारतीय सैनिक पूर्वी लद्दाख में पेंगोंग झील की चोटियों पर मोर्चेबंदी लगातार मजबूत कर रहे हैं
- 29-30 अगस्त की रात के बाद 7 अगस्त को भी कुछ महत्वपूर्ण चोटियों पर मोर्चा संभाल लिया
- इन मोर्चेबंदियों से बातचीत की टेबल पर चीन के खिलाफ भारत की बार्गेनिंग कैपसिटी बढ़ गई है
नई दिल्ली
रूस की राजधानी मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की मुलाकात होने जा रही है। एस. जयशंकर और वांग यी के बीच बातचीत से पहले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सोमवार को नए सिरे से संघर्ष हो गया। इस संघर्ष में भारतीय सैनिकों ने पेंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की कुछ ऐसी महत्वपूर्ण चोटियों पर मोर्चेबंदी कर ली जिससे चीन के साथ बातचीत में बड़ी बढ़त मिलने वाली है।
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अब भारत के पक्ष में भारी हुआ पलड़ा
भारत एलएसी पर पिछले चार महीनों से जारी तनाव को खत्म करने की दिशा में गंभीर बातचीत के जरिए ठोस प्रयास करने पर जोर दे रहा है। संभव है बातचीत के त्वरित परिणाम नहीं दिखें और जमीन पर हालात नहीं बदलें। लेकिन, 29-30 अगस्त की रात में भारतीय सैनिकों ने जो करतब कर दिखाया, उससे मीटिंग से पहले का माहौल तो भारत के पक्ष में जरूर हो गया।
आधिकारिक सूत्रों ने चीन की तरफ से धड़ाधड़ जारी हो रहे बयानों की रफ्तार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि बीजिंग ने रात के तीन बजे बयान जारी कर भारत पर 'गंभीर उल्लंघन' का आरोप लगाया। भारत ने इसका करारा जवाब दिया और कहा कि कुछ इलाकों में चीनी सैनिकों के बढ़ने को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
चीन को साफ संदेश- ताकत दिखाओ या बातचीत करो
अब भारत ने चीन को साफ संदेश दे दिया है कि पेंगोंग झील के दक्षिणी छोर पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चीन को या तो ताकत का इस्तेमाल करना होगा या फिर तनाव खत्म करने की दिशा में गंभीर प्रयास करने होंगे। तात्कालिक परिस्थितियों में इतना तो स्पष्ट है कि लगातार बढ़ते सीमा संकट पर दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व को विचार करने की जरूरत है। बहरहाल, भारत को नहीं लगता कि मॉस्को में दोनों विदेश मंत्रियों की मुलाकात के कुछ आशाजनक परिणाम निकलेंगे।
पिछले कुछ दिनों से दोनों पक्ष अपने सार्वजनिक बयानों को बार-बार दुहरा रहे हैं। इससे पता चलता है कि कॉमन ग्राउंड ढूंढने में कितनी मुश्किल होने वाली है। भारत जानता है कि चीन एलएसी को पश्चिम की तरफ धकेलना चाहता है जबकि उसे महत्वपूर्ण चोटियों पर भारतीय सैनिकों की मोर्चेबंदी स्वीकार नहीं होगी। स्वाभाविक है कि ऐसे में दोनों देशों की सेनाएं सर्दियों में ��ी उन दुरूह इलाकों में डटी रहेंगी।
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विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को चीनी प्रचार तंत्र के फैलाए झूठ पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, 'हमने चाइना डेली और हुआंक्वी शिबाओ (Global Times) समेत चीन के अन्य सरकारी मीडिया में एक रिपोर्ट देखी है जिनमें कुछ बयानों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल से जोड़ा गया है।' प्रवक्ता ने कहा कि ये रिपोर्ट्स बिल्कुल झूठे और तथ्यहीन हैं।
अब शायद समझ जाए चीन
सूत्रों ने कहा कि अपनी बढ़त से चीन की बांछें खिली हुई थीं, लेकिन अब भारत ने एलएसी पर उसके मुकाबले बेहतर स्थिति हासिल कर ली। इससे चीन बौखला उठा है। उसे शायद यह बात समझ आ गई हो कि अब तो बातचीत के दौरान उसे झुकना ही पड़ेगा।