शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि रूस से प्रमुख रक्षा ‘हार्डवेयर’ खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने का प्रशासन को अधिकार देने वाला कठोर कानून भारत जैसे सहयोगी देशों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के लिए नहीं है।
राजनीतिक सैन्य मामलों के सहायक मंत्री आर. क्लार्क कूपर ने कहा, सीएएटीएसए (काटसा) प्रतिबंध किसी भागीदार या सहयोगी पर दंडात्मक कार्रवाई के लिए नहीं बनाया गया है।
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कूपर ने कहा कि हम निश्चित रूप से सीएएटीएसए (काउंटरिंग अमेरिका एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट) से छेड़छाड़ करना नहीं चाहते हैं लेकिन यह कानून भारत जैसे देशों के लिए नहीं है। बता दें कि अमेरिका ने सोमवार को अपने नाटो सहयोगी तुर्की पर रूस की उन्नत एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए इस कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिए थे। अमेरिका में इस कानून का मकसद रूस का प्रभाव कम करना है।
इसके तहत रूस से हथियारों की खरीद करने वाले देशों पर अमेरिका यह कार्रवाई करता है। जबकि भारत भी रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद रहा है। लेकिन अमेरिका ने भारत को इस कानून से अलग रखा है। शीर्ष राजनयिक कूपर ने कहा, हम नहीं चाहते कि एक साथी की संप्रभु रक्षा क्षमताओं को जोखिम में डालने के लिए उनकी तैयारियों को कम किया जाए।
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भारत के संदर्भ में दिया सवाल का जवाब
अमेरिकी राजनयिक आर. क्लार्क कूपर रूस से एस-400 की खरीद के चलते सीएएटीएसए के तहत भारत पर प्रतिबंधों की संभावना पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे। अक्टूबर 2018 में, भारत ने रूस के साथ एस -400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा, यह कानून भारत जैसे देशों के लिए नहीं है।