नई दिल्ली
पीएफ में ज्यादा पैसे सेव कर टैक्स बचाने वाले लोगों को इस बजट से तगड़ा झटका लगा है। जी हां, अच्छी कमाई करने वाले लोग अब तक टैक्स-फ्री हेवेन के तौर पर पीएफ का इस्तेमाल करते थे, पर इस बजट ने वो छूट खत्म कर दी है। एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रोविडेंट फंड जमा करने पर मिलने वाला ब्याज अब टैक्स के दायरे में आएगा। इससे हाई-इनकम सैलरीड लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे, जो टैक्स फ्री इंट्रेस्ट कमाने के लिए वॉलंटरी प्रोविडेंट फंड का इस्तेमाल करते थे।
यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने पीएफ मनी पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है। 2016 के बजट में भी प्रस्ताव किया गया था कि EPF के 60 प्रतिशत पर अर्जित ब्याज को टैक्स के दायरे में लाया गया था। हालांकि नए कर के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध होने लगा तो प्रस्ताव को वापस ले लिया गया।
2021 के बजट में यूलिप की धारा 10 (10डी) के तहत एक साल में 2.5 लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम पर कर छूट को हटाने का प्रस्ताव किया गया है। हालांकि यह मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा, केवल इस साल 1 फरवरी के बाद बेची गई पॉलिसी के लिए होगा।
क्रीमी लेयर ही होगा प्रभावित
पिछली बार भले ही लोगों की नाराजगी थी पर इस प्रस्ताव के खिलाफ लोगों का आक्रोश कम हो सकता है क्योंकि यह वेतनभोगी कर्मचारियों के केवल क्रीमी लेयर को ही प्रभावित करता है। इसे कुछ यूं समझिए कि 2.5 लाख रुपये वार्षिक सीमा का मतलब यह है कि पीएफ (हर महीने 1.73 लाख रुपये तक बेसिक सैलरी) में कर्मचारी हर महीने 20,833 रुपये का अंशदान करे तो टैक्स से बचता है।
उधर, 1 अप्रैल से नया वेज कोड भी आने वाला है, जिसमें निर्धारित किया गया है कि बेसिक सैलरी व्यक्ति की कुल आय का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए। इसका मतलब है कि ज्यादा बेसिक सैलरी के साथ स्ट्रक्चर बदलेगा और ऐसे में अपने आप पीएफ में योगदान बढ़ेगा।
ट्विटर पर लोग बोले- इस हाथ से दिया, उस हाथ से लिया
पीएफ को लेकर इस घोषणा से ट्विटर पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी खूब आने लगीं। एक यूजर ने लिखा कि जब वित्त मंत्रालय ने EPF पर 8.5 प्रतिशत इंट्र���स्ट रेट रखा था तो मैं अर्थव्यवस्था की हालत को देखकर काफी चकित हो गया। अब पता चला। 2.5 लाख रुपये पर इंट्रेस्ट अब टैक्स के दायरे में होगा यानी इस हाथ से दिया, उस हाथ से लिया।