नई दिल्ली
ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली खासकर ऐतिहासिक लाल किले पर हुई हिंसा के बाद किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ा है। धरनास्थलों पर किसानों की भीड़ छंटने लगी है। हालांकि, गाजीपुर बॉर्डर पर स्थिति इसके उलट है। गाजियाबाद प्रशासन ने किसान नेताओं को आधी रात तक धरना खत्म करने का अल्टीमेटम दिया था। तमाम प्रदर्शनकारी किसान अपना बोरिया बिस्तर समेटने भी लगे थे लेकिन राकेश टिकैत के आंसुओं ने माहौल को एकदम से बदल दिया। देर रात पुलिस फोर्स को बैरंग वापस लौटना पड़ा।
टिकैत के छलके आंसू और अचानक बदल गई फिजा
गाजीपुर बॉर्डर को गुरुवार को एक तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। बड़ी तादाद में पुलिस और रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवान तैनात थे। धारा 144 लगा दी गई। अटकलें थीं कि राकेश टिकैत सरेंडर करने जा रहे हैं या फिर उनकी गिरफ्तारी होने वाली है। उनके भाई नरेश टिकैत तो ऐलान भी कर चुके थे कि अब और नहीं, धरना खत्म कर दिया जाएगा। लेकिन बाद में जैसे ही राकेश टिकैत प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक हुए और उनके आंसू छलके, पलभर में फिजा बदल गई।
रात को ही यूपी से गाजीपुर बॉर्डर के लिए निकल पड़े किसानों के जत्थे
राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखने पर अड़ गए। कहा कि यहीं पर खुदकुशी कर लूंगा। उन्होंने किसानों से गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने की भावुक अपील की। फिर क्या था, आधी रात को ही पश्चिमी यूपी के तमाम हिस्सों से किसानों के समूह गाजीपुर बॉर्डर की तरफ बढ़ने लगे। जहां धरना खत्म होने की अटकलें लग रही थीं वहां रात में ही भीड़ जुटने लगी।
और पुलिस को हटना पड़ा पीछे
गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह से छावनी में तब्दील था। बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स, पीएसी और रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवानों की तैनाती की गई थी। माहौल तनावपूर्ण था, टकराव की नौबत दिख रही थी। किसानों को आधी रात तक धरना खत्म करने नहीं तो उन्हें हटाए जाने की चेतावनी दी गई थी। लेकिन जैसे-जैसे रात गहराती गई, किसानों के नए-नए समूह धरनास्थल पर पहुंचने लगे। आखिरकार देर रात पुलिस को पीछे हटना पड़ा। फोर्स जिन गाड़ियों से वहां पहुंची थी, उन्हीं गाड़ियों से बैरंग वापस लौट गई।
Uttar Pradesh police and Provincial Armed Constabulary (PAC) deployed at Ghazipur border since yesterday evening, leaves the protest site in police and PAC vehicles. pic.twitter.com/SSYnnRczdZ
— ANI UP (@ANINewsUP) January 28, 2021
टिकैत का दावा- सुबह तक बड़ी संख्या में गाजीपुर बॉर्डर पहुंचेंगे किसान
राकेश टिकैत ने देर रात मीडिया से बातचीत में दावा किया कि शुक्रवार सुबह तक तमाम जिलों से बड़ी तादाद में किसान गाजीपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं। ट्रैक्टर परेड हिंसा मामले में जिन किसान नेताओं के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने नामजद एफआईआर की है, उनमें राकेश टिकैत भी शामिल हैं। गंभीर धाराओं और यूएपीए के तहत केस दर्ज होने के बाद उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।
आंसू देख नरेश टिकैत के भी बदले सुर, बुलाई महापंचायत
जो नरेश टिकैत गाजीपुर में धरना खत्म करने की बात कह रहे थे, भाई राकेश टिकैत के आंसू छलकने के बाद उनके भी तेवर बदल गए। नरेश टिकैत ने कहा कि भाई के आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे। उन्होंने मुजफ्फरनगर में शुक्रवार को किसान महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि अब वे
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और मेरे छोटे भाई राकेश टिकैत के ये आँसू व्यर्थ नहीं जाएंगे। कल सुबह महापंचायत होगी और अब हम इस आंदोलन को निर्णायक स्थिति तक पहुंचा कर ही दम लेंगे। pic.twitter.com/gSaqoi4xzk
— Naresh Tikait (@NareshTikait_) January 28, 2021
पुलिस ने आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का दिया था अल्टीमेटम
गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारी किसानों को गुरुवार आधी रात तक यूपी गेट खाली करने का अल्टीमेटम दिया। हालांकि, किसानों के अड़ने और लगातार उनकी संख्या बढ़ने के बाद प्रशासन यूपी गेट को खाली नहीं करा पाया है।
टिकैत बोले- यहीं आत्महत्या कर लूंगा, दमन कर रही यूपी सरकार
बीकेयू के प्रवक्ता टिकैत अपनी मांग पर अड़े रहे और उन्होंने कहा, ‘मैं आत्महत्या कर लूंगा लेकिन जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करूंगा।’ अपनी जान को खतरा होने का दावा करते हुए उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शन स्थल पर हथियारबंद गुंडों को भेजा गया था।
टिकैत ने कहा, ‘गाजीपुर की सीमा पर कोई हिंसा नहीं हुई है लेकिन इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार दमन की नीति का सहारा ले रही है। यह उत्तर प्रदेश सरकार का चेहरा है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।’
जिले के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा कि गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने यूपी गेट पर डेरा डाले प्रदर्शनकारियों से संवाद किया और उन्हें रात तक प्रदर्शनस्थल खाली करने को कहा। उन्हें चेतावनी दी गई कि ऐसा नहीं करने पर प्रशासन उन्हें हटा देगा। बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत ने इस कदम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस की निंदा की।
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सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों का सद्भावना मार्च
इस बीच सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने ‘सद्भावना मार्च’ निकाला। राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी समेत कई किसान नेताओं ने मार्च का नेतृत्व किया और कहा कि मार्च का आयोजन प्रदर्शनकारी किसानों को बांटने का प्रयास कर रही ताकतों का मुकाबला करने और यह दिखाने के लिए किया गया है कि वे तिरंगे का सम्मान करते हैं।
किसान नेताओं के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी
इससे पहले दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर शहर में किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में किसान नेताओं के खिलाफ गुरुवार को ‘लुक आउट’ नोटिस जारी किया और यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया। इसके साथ ही अपनी जांच तेज करते हुए पुलिस ने लाल किले पर हुई हिंसा के मामले में राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि इन घटनाओं के पीछे 'साजिश' और 'आपराधिक मंसूबों' की जांच उसकी स्पेशल सेल करेगी।
(भाषा से इनपुट के साथ)